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मातृभूमि मेरी, कविता, सारांश, भावार्थ और प्रश्न उत्तर lcse 10th Hindi poem matribhumi meri मातृभूमि मेरी

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 मातृभूमि मेरी, कविता, सारांश, भावार्थ और प्रश्न उत्तर  lcse 10th Hindi poem matribhumi meri मातृभूमि मेरी  ऊंचा खड़ा हिमालय , आकाश चूमता है  नीचे चरण तले पर ,नित सिंधु झूमता है। गंगा- यमुना त्रिवेणी, नदियां लहर रही हैं, जग मग छटा निराली,पग - पग छहर रही है। यह पुण्य भूमि मेरी, यह मातृभूमि मेरी।। झरने अनेक झरते, इसकी पहाड़ियों में, चिड़िया चहकी रही है,हो मस्त झाड़ियों  में  अमराइयां यहां हैं, कोयल पुकारती हैं  बहते मलय पवन से, तन - मन संवारती है।। यह धर्म भूमि मेरी, यह कर्म भूमि मेरी। यह मातृभूमि मेरी,यह पितृ भूमि मेरी । जो भी यहां पर आया, इसका ही हो गया, नव एकता यहां की , दुश्मन सहम गया है।। ऋषियों ने जन्म लेकर, इसका सुयश बढ़ाया, जग को दया सिखाई, जग को दया दिखाई। यह युद्ध - भूमि मेरी, यह बुद्ध - भूमि मेरी, यह जन्म - भूमि मेरी, यह मातृभूमि मेरी।। मातृभूमि मेरी कविता का शब्दार्थ  सिंधु - सागर। त्रिवेणी - तीन नदियों का संगम। अमराइयां -- आम के बगीचे। नव - नया। सुयश - अच्छा यश। जग - संसार। मातृभूमि मेरी कविता का भावार्थ  मातृभूमि मेरी कविता में स्वर्ग - सी सुंदर भारत - भूमि  के प्राकृतिक एव

छाया मत छूना, कविता, tenth Hindi कवि गिरिजा कुमार माथुर, chhaya mat chhuna , poem , summary

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         बिमल हिंदी ‌.इन bimal hindi.in हिन्दी भाषा और लिपि के बारे में पढ़ें               डॉ.उमेश कुमार सिंह के द्वारा लिखित छाया मत छूना, कविता, गिरिजा कुमार माथुर, chhaya mat chhuna , poem , summary  छाया मत छूना कविता, छाया मत छूना कविता के कवि गिरिजा कुमार माथुर का जीवन परिचय, छाया मत छूना कविता का भावार्थ और व्याख्या,छाया मत छूना पाठ का प्रश्न उत्तर। Chhaya mat chhuna poem, Girija Kumar Mathur Jiwan parichay, chhaya mat chhuna questions answers . NCERT solutions, tenth class hindi poem chhaya mat chhuna,  "छाया मत छूना"  कविता के माध्यम से कवि गिरिजा कुमार माथुर यह बताने का प्रयास करते हैं कि जीवन में सुख और दुख दोनों आते हैं। सुख दुख के मिश्रण से ही जीवन बनता है। इसलिए बिते दिनों के सुख को याद कर वर्तमान के दुख को बढ़ावा देना उचित नहीं है।  छाया मत छूना  मन, होगा दुख दूना।  जीवन में हैं सुरंग सुधियां सुहावनी  छवियों की चित्र गंध फैली मनभावनी,  तन - सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,  कुंतल के फूलों की याद बनी चांदनी।  भूली सी एक छुअन बनता हर जीवन क्षण -  छाया मत छूना  मन,

Kanyadaan poem, poet Rituraj, कन्यादान कविता, कवि ऋतुराज, भावार्थ, व्याख्या, प्रश्न उत्तर

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  Kanyadaan poem, poet Rituraj, कन्यादान कविता, कवि ऋतुराज, भावार्थ, व्याख्या, प्रश्न उत्तर , कवि ऋतुराज का जीवन परिचय, पाठ का सारांश, ऋतुराज की काव्यगत विशेषताएं, दसवीं कक्षा  कन्यादान कक्षा दसवीं में पढाई जाने वाली एक प्रेरणादाई कविता है जिसमें बालिका शोषण और उत्पीड़न के प्रति लोगों को आगाह किया गया है। इस कविता में एक मां अपनी बेटी को परंपरागत आदर्शों से हटकर कुछ उपयोगी शिक्षा दे रही है। यहां कवि ने मां - बेटी की घनिष्ठता को एक नया परिभाषा देने का प्रयास करता है। पिता बेटी की विवाह के समय बेटी का कन्यादान करता है। वहां बेटी को भावी जीवन की कुछ सीख दी जाती है। मां बेटी की सबसे निकटतम सहेली होती है। सामाजिक व्यवस्था में स्त्री के कुछ प्रतिमान गढ़ लिए जाते हैं, कवि उन्हीं प्रतिमानों को तोड़ने का प्रयास करता है। पाठ का सार अथवा सारांश कविता कन्यादान में मां बेटी को परंपरागत आदर्श रूप से हटकर सीख दे रही है । कवि ने मां बेटी के संबंध की घनिष्ठता दर्शाते हुए नए सामाजिक मूल्य की परिभाषा देने का प्रयास किया है । सामाजिक व्यवस्था में स्त्री के आचरण के कुछ प्रतिमान गढ लिए गए हैं।  कवि ने उन्हे

सूरदास के पद,Surdas ke pad,mero man anat khan

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            सूरदास के पद, सूरदास का जीवन              परिचय            Surdas ke pad, Surdas ka              Jiwan parichay ************************************************* Table of contents मेरे मन अनत कहां सुख पावै खेलत में के काको गुसैया सोभित कर नवनीत लिए ऊधौ तुम हौ अति बड़भागी मन की मन में माझ रही हमारे हरि हारिल की लकरी हरि हैं राजनीति पढ़ सूरदास का जीवन परिचय जन्म, मृत्यु, गुरु का नाम प्रश्न उत्तर भ्रमर गीत, भावार्थ एवं व्याख्या सूरदास और अकबर सूरदास और अष्टछाप कक्षा दसवीं हिन्दी Surdas ke pad Mero man anat kha Khelat me ko kako Sobhit kr navnit Class tenth hindi NCERT solutions Surdas Bharmar geet 10th hindi Date of birth of Surdas,place of birth Surdas Death of Surdas, number of pad written by Surdas. Guru of Surdas, Language of Surdas, name of books written by Surdas. Is Surdas blind by birth. Gopiyon and udhaw. Mero man anat khan sukh pawe  मेरौ मन अनत कहां सुख पावै। जैसे उड़ि जहाज को पंछी, फिरि जहाज पर आवै। कमल - नैन कौ छांड़ि महातम और देव कौं ध्यावै। परम गंग को छांड़ि पिय

1.संपादन ( sampadan) 2. संपादन का अर्थ एवं परिभाषा तथा कार्य 3.संपादन के सिद्धांत

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संपादन, sampadan  1.संपादन 2. संपादन का अर्थ एवं परिभाषा तथा कार्य 3.संपादन के सिद्धांत Sampadan kya hai, duty of sampadak, editor, edition, , definition of sampadan, sampadan ke Siddhant, fareness,aqurity, ballence, sources, journalism,media,print media. जनसंचार माध्यमों में द्वारपाल की भूमिका निभाना संपादन कहलाता है। संपादक, समाचार संपादक, सहायक संपादक एवं उप संपादक की यही जिम्मेदारी होती है। रिपोर्टर द्वारा लायी गई खबरें तथा अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी को त्रुटि मुक्त करके प्रकाशन के लायक बनाने का दायित्व इन लोगों की ही होती है। 2.संपादन का अर्थ, परिभाषा एवं  संपादक के कार्य, sampadan ke tatparya, sampadan in English  संपादन ( editing ) का अर्थ है किसी सामग्री को त्रुटि मुक्त करके उसे पढ़ने लायक बनाना। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जो भी खबरें रिपोटिंग टीम द्वारा लाई जाती है , उन्हें शुद्ध करके प्रकाशित करने का कार्य संपादन कहलाता है। जब कोई रिपोर्टर कोई समाचार लाता है तब उपसंपादक अथवा संपादक उसे ध्यान से पढ़ता है और उसमें व्याकरण, भाषा शैली, अथवा वर्तनी संबंधित जो अशुद्धिय