अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल , Amar Shaheed Ramprasad Bismil, biography
अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल , Amar Shaheed Ramprasad Bismil, biography राम प्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय,Ram Prasad Bismil ka jeevan parichay , Ram Prasad Bismil ki mirtyu Khan hui. 19 दिसंबर, 1927 प्रातः साढ़े छः बजे का समय । गोरखपुर जेल से फांसी के तख्ते की ओर जाते हुए एक क्रांतिकारी हुंकार भरते हुए कह उठा -- " मालिक तेरी रज़ा रहे और तू ही तू रहे, बाकी न मैं रहूं न मेरी आरज़ू रहे। जब तक कि तन में जान, रगों में लहू रहे, तेरा ही जिक्र या तेरी ही जुस्तजू रहे।।" फिर उसने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा -- " मैं ब्रिटिश सरकार का विनाश चाहता हूं। " ये शब्द अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल के हैं जब वे फांसी के फंदे पर झूलने जा रहे थे। राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 1897 ई में हुआ था। ऊर्दू की चौथी कक्षा पास करने के बाद जब वे पांचवीं कक्षा में पहुंच तब उनकी आयु 14 वर्ष की थी। बचपन में उन्हें कुछ बुरी आदतों ने घेर लिया था लेकिन उसी समय मुंशी इंद्रजीत से उनका मेल जोल हुआ और उन्होंने संध्या सीखी। बिस्मिल लिखते हैं -- "सत्यार्थ प्रकाश " के अध्ययन से मेरा काया पलट हो गया। उन