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Yah danturit muskaan यह दंतुरित मुस्कान

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  यह दंतुरित मुस्कान , कवि नागार्जुन, yah         danturit muskaan, poet                              Nagarjuna यह दंतुरित मुस्कान कविता, यह दंतुरित मुस्कान कविता का भावार्थ,यह दंतुरित मुस्कान कविता का प्रश्न उत्तर, कवि नागार्जुन का जीवन परिचय, yah danturit muskaan poem, poet Nagarjuna, Baba Nagarjuna, summary of yah danturit muskaan, solutions NCERT, questions answers of poem yeh danturit muskaan MCQ type questions answers, वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर कवि नागार्जुन अपने छोटे बच्चे की मुस्कान देखकर अत्यंत प्रसन्न है। बच्चे के मुंह में छोटे-छोटे दांत हैं। उस मुस्कान को देखकर पत्थर दिल भी पिघल जाता है। बच्चा उसे पहचानता नहीं है। मां माध्यम बनती है। यह कविता वात्सल्य रस का अनूठा उदाहरण है।           यह दंतुरित मुस्कान कविता तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान मृतक में भी डाल देगी जान धूलि - धूसर तुम्हारे ये गात--- छोड़कर तालाब मेरी झोपडी में खिल रहे जलजात  परस पाकर तुम्हारा ही प्राण, पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बांस था कि बबूल ? भावार्थ  कवि अपने पुत्

Shakti aur kshma शक्ति और क्षमा, रामधारी सिंह दिनकर

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Shakti aur kshama poem summary  विषय सूची 1.रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय 2. शक्ति और क्षमा कविता 3.शक्ति और क्षमा कविता का भावार्थ 4.शक्ति और क्षमा पाठ का शब्दार्थ 5. शक्ति और क्षमा पाठ का प्रश्न उत्तर 6.क्षमा शोभति उस भुजंग को का क्या भाव है ? 7. शक्ति और क्षमा कविता का केन्द्रीय भाव क्या है ? 8. शक्ति और क्षमा कविता का सारांश  9. शक्ति और क्षमा कविता से क्या शिक्षा मिलती है ?  Ramdhari Singh Dinkar ka jivan Parichay  रामधारी सिंह दिनकर ‌ का जीवन परिचय कविवर रामधारी सिंह दिनकर का जन्म बिहार में मुंगेर जिले के सिमरिया नामक गांव में 23 सितंबर 1908 को हुआ था। बचपन में ही पिता का साया उठने के कारण बड़ी कठिनाई से मैट्रिक पास कर सके। फिर पटना कालेज, पटना से बी. ए. करने के बाद बरबीघा हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक बन गये। फिर विभिन्न सरकारी पदों को सुशोभित करते हुए राज्य सभा के सदस्य भी रहे। 1965 से 1972ई तक भारत सरकार में हिंदी सलाहकार रहे। 24 अप्रेल 1974 को इनका देहांत हो गया। प्रमुख रचनाएं - कुरुक्षेत्र, रेणुका, रश्मि रथी, नीलकुसुम, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, हारे को हरिनाम आदि। उर्वश

इसे जगाओ (कविता,) कवि - भवानी प्रसाद मिश्र ise jagao, bhawani Prasad Mishra

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  इसे जगाओ, कविता, कवि - भवानी प्रसाद मिश्र, Ise Jagao, Bhawani Prasad Mishra Ise jagao questions answers , इसे जगाओ कविता का प्रश्न उत्तर , इसे जगाओ पाठ का भावार्थ , इसे जगाओ कविता का मूल भाव क्या है, इसे जगाओ कविता का मुख्य संदेश। कवि सोए हुए व्यक्ति को क्यों जगाना चाहते हैं ? भई, सूरज जरा इस आदमी को जगाओ ! भई, पवन जरा इस आदमी को हिलाओ ! यह आदमी जो सोया पड़ा है, जो सच से बेखबर सपनों में खोया पड़ा है। भई , पंछी इसके कानों पर चिल्लओ  । भई , सूरज ,  जरा इस आदमी को जगाओ। वक़्त पर जगाओ, नहीं तो जब बेवक्त जगेगा यह तो जो आगे निकल गए हैं उन्हें पाने --- घबरा के भागेगा यह। घबरा के भागना अलग है, क्षिप्र गति अलग है, क्षिप्र तो वह है जो सही क्षण में सजग है। सूरज, इसे जगाओ, पवन, इसे हिलाओ, पंछी, इसके कानों पर चिल्लाओ। शब्दार्थ पवन - हवा। बेखबर - अनजान। पंछी - पक्षी। जरा - कुछ, थोड़ा। वक्त - समय। क्षिप्र - तेज, गतिशील। बेवक्त - असमय। सजग - सचेत, जगा हुआ। क्षण - पर, समय। भावार्थ एवं व्याख्या कवि भवानी प्रसाद मिश्र कहते हैं, सवेरा हो गया है और यह आदमी अभी तक सोया हुआ है। संसार का नियम है कि सूर्योदय

काकी कहानी, सियाराम शरण गुप्त,Kaki

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  काकी ( कहानी ) लेखक सियाराम शरण गुप्त Kaki story, shiyaram sharan gupt Questions answers काकी कहानी लेखक सियाराम शरण गुप्त, काकी कहानी का सारांश, काकी कहानी का उद्देश्य, काकी कहानी से क्या शिक्षा मिलती है। श्यामू कौन था। श्यामू की मां को क्या हुआ। पतंग किसलिए खरीदा गया था। विश्वेश्वर कौन थे। श्यामू आकाश की ओर क्यों देखा करता था । सुखिया दासी के लड़के का क्या नाम था ? पतंग के लिए पैसे कहां से आए। काकी कहानी में लेखक ने बाल मनोविज्ञान का सुन्दर और यथार्थ वर्णन किया है। बच्चों का मन कितना भावुक होता है, इसे बहुत गंभीरता के साथ समझने की आवश्यकता होती है। इस कहानी में लेखक सियाराम शरण गुप्त ने पाठकों को बताने का प्रयास किया है कि हमें अपने बच्चों के प्रति संवेदनशील और सजग रहने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में इस कहानी की  सार्थकता और अधिक बढ़ गई है। काकी कहानी का सारांश kaki story summary श्यामू नाम का एक बालक है। वह अबोध है। उसकी मां का देहांत हो गया है। परन्तु उसे मृत्यु का अर्थ नही मालूम है। घर के सारे लोग  विलाप कर रहे हैं। उसकी मां मृत्यु शैय्या पर लेटी हुई है। जब उसकी मां को लोग श्मश

जग जीवन में जो चिर महान, jag jivan men jo chir mahan

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 जग जीवन में जो चिर महान,jag jivan me jo chir mahan poem Poet Sumitra Nandan pant जग जीवन में जो चिर महान सौंदर्य पूर्ण और सत्य प्राण, मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ, जो हो मानव के हित समान। जिससे जीवन में मिले शक्ति, छूटे भय संसार, अंधभक्ति, मैं वह प्रकाश बन सकूं नाथ, मिल जाए जिसमें अखिल व्यक्ति। पाकर प्रभु, तुमसे अमर दान, करके मानव का परित्राण, ला सकूं विश्व में एक बार, फिर से नवजीवन का विहान।  सुमित्रानंदन पंत शब्दार्थ जग – संसार । सौंदर्य- सुन्दरता। चिर – सदा रहने वाला, अमर। मानव – मनुष्य को। हित – भलाई। शक्ति – ताकत । भय – डर। अंधभक्ति – अंधविश्वास भरी भक्ति। संशय – शक। प्रकाश – रोशनी। अखिल – सब। अमर – जो न मरे। परित्राण – पूरी रक्षा। विश्व – संसार। नवजीवन – नया जीवन। विहान – सवेरा। जग जीवन में जो चिर महान कविता का  भावार्थ सुप्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत परम पिता परमेश्वर को प्रणाम करते हुए यह प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु ! इस संसार में मैं उसका प्रेमी बनूं जो मानव का कल्याण चाहता हो। मेरे मन में ऐसा भाव भर दो जिससे मैं समस्त जीवों का कल्याण कर सकूं। मेरे सारे उद्योग ज

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान, HM karenge aaj bharat

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  जयगान हम करेंगे आज भारत देश का जयगान। द्वेध दुख का अंत होगा, अब न त्रास दुरंत होगा,  अब फहरेगा हमारा एक विजय निशान! हम करेंगे आज भारत देश का जयगान ! यश का गान ! रजत श्रंग तुषार शेखर, तुंग यह हिमवान गिरिवर, हम यहां निर्दवंद्व होकर, बनेंगे गतिवान ! हम करेंगे आज भारत भूमि का जयगान ! यश का गान ! पोत – दल शत शत तरेंगे, पश्चिमी सागर भरेंगे, गर्जना में ध्वनित होगा, देश गौरव मान ! हम करेंगे आज भारत देश का जयगान ! यश का गान! बने विद्या भवन शोभन, देव मंदिर से सुपावन हम करेंगे देश भारत, ज्ञान वृद्ध महान ! हम करेंगे आज भारत देश का जयगान ! यश का गान !  कवि सुब्रमण्यम भारती। शब्दार्थ द्वेध – दो प्रकार के ‌। अंत – समाप्त ।  त्रास – दुख । दुरंत – प्रबल, प्रचंड । गिरि – पर्वत । गति – चाल । तुषार शेखर – बर्फ का घर , हिमालय। जग जीवन में जो चिर महान (क्लिक करें और पढ़ें) हम असत्य से बचें, सत्य पर चलें (क्लिक करें और पढ़ें) यश – प्रसिद्धि। पोत दल – नौकादल । शत – सौ । ध्वनित – गुंजायमान। सुपावन – पवित्र । रजत श्रृंग – चांदी जैसी चमकीली चोटियां। निर्द्वन्द्व – जिसका कोई विरोधी न हो। दो बैलों की कथा  

दो बैलों की कथा, Do bailo ki katha लेखक – प्रेमचंद

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  दो बैलों की कथा,  लेखक – प्रेमचंद Do bailo ki katha, story " दो बैलों की कथा " मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी के द्वारा भारतीय किसान किस तरह अपने बैलों को  अपने परिवार की तरह मानते हैं, यह दर्शाया गया है साथ ही यह दिखाया गया है कि आजादी के लिए काफी संघर्ष करने की जरूरत होती है। दो बैलों की कथा कक्षा नौवीं में पढ़ी पढ़ाई जाती है। यहां कहानी का सारांश, लेखक प्रेमचंद का जीवन परिचय एवं पाठ का प्रश्न उत्तर सरल भाषा में दिया गया है। Table of contents दो बैलों की कथा कहानी का सारांश do bailo ki katha kahani ka Saransh, summary of do bailo ki katha, दो बैलों की कथा कहानी के लेखक प्रेमचंद का जीवन परिचय, do bailo ki katha ke lekhak kaun hai, biography of premchand, दोनों बैलों के नाम, हीरा और मोती कैसे बैल थे। कांजीहौस क्या होता है। दो बैलों की कथा कहानी कब लिखी गई थी। दो बैलों की कथा कहानी का संदेश। NCERT solutions, class ninth hindi शब्दार्थ लेखक प्रेमचंद का जीवन परिचय दो बैलों की कथा " कहानी का प्रश्न उत्तर NCERT solutions *************************