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श्रीकृष्ण जन्मोत्सव (गोकुल धाम में) Gokul me Shree Krishna janmotsav

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Shree Krishna janmotsav Gokul dham me श्री कृष्ण जन्मोत्सव गोकुल धाम में  नन्दस्त्वात्मज उत्पन्नेजाताह्लदो महा।                             आह्यविप्रान वेदज्ञान सरनाम: शुचिरलंकृत:।।                   भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में मध्य रात्रि को हुआ। सारे पहरेदार सैनिक सो गए। वासुदेव जी की बेड़ियां अपने आप खुल गई। वे नवजात शिशु को लेकर यमुना पार गोकुल गांव में अपने मित्र संबंधी नंदलाल जी की पत्नी यशोदा के पास छोड़ आए। यह सभी निद्रा अवस्था में थे। किसी को भी भगवती योग माया की इस लीला का जरा भी ज्ञान नहीं हुआ।                                                                          प्रातः होने पर नंद के घर पुत्र जन्म की बधाइयां का ताता लग गया। यशोदा जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है यह सुनकर गोपियों को भी बड़ा आनंद हुआ। उन्होंने सुंदर सुंदर वस्त्र आभूषण धारण कर यशोदा जी को बधाइयां देने जाने लगी। उनके मुख मंडल पर अद्भुत आनंद की शोभा चमक रही थी। उनके सिंगार और केशु में गुथे फूलों के पराग से मार्ग में एक अद्भुत सुगंधी का संचार हो रहा था। नंद जी इस सुंदर अवसर पर बड़े प्रसन्न

श्री कृष्ण जन्माष्टमी/Shree Krishna Janmashtami

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2024,               Shree Krishna Janmashtami 2024 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। धरती से दुष्टों का नाश करने के लिए श्री कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में इसी दिन हुआ था। आइए श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बारे में जानकारी प्राप्त करें। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व संपूर्ण भारत वर्ष के साथ -साथ विश्व के विभिन्न हिस्सों में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष - अष्टमी को खूब श्रद्धा भक्ति - भाव से मनाया जाता है। इसी दिन द्वापरयुग में मथुरा के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।  इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 दिन सोमवार  को है।          "यदा यदा हि धर्मस्यगलानिर्भवतुभारत -----" जब -जब धरती पर आतंकियों और आताताइयो का साम्राज्य बढ़ जाता है, तब- तब भगवान श्री विष्णु पृथ्वी पर नया अवतार लेकर पृथ्वी को आतंकियों से मुक्ति दिलाते हैं। श्री विष्णु द्वापरयुग में आठवें अवतार धारण कर श्रीकृष्ण बनकर कंस, जरासंध, वकासुर, नरकासुर, संभरासुर आदि हजारों असुरों का संहार कर पृथ्वी का भार कम किए थे।          

धन की खोज dhan ki khoj (छात्रों की परीक्षा/www.bimalhindi.in)

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Dhan ki khoj धन की खोज शिक्षा प्रदान करने वाली कहानी जीवन में सफलता हासिल करने में मदद करती है। हमें सदा अपनी बुद्धि विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। उचित अनुचित का ध्यान रखना चाहिए।इस कहानी में कथाकार यही बताने वाले हैं।  छात्रों ने निवेदन करते हुए कहा''-गुरूजी ! आजकल आप इतने उदास क्यों  हैं, आप के मुखमंडल पर चिंता के छाये बादल हमारे लिए अत्यंत ही दुखदाई है। कृपया इस चिन्ता और उदासी का कारण हमें बताइए। हम यथासंभव उसके निवारण का प्रयत्न करेंगे।''।                                           गुरुजी  ने अपने मुख मंडल की गंभीरता को और गंभीर बनाते हुए कहा--"प्रिय छात्रों ! मेरी कन्या अब विवाह योग्य हो गई है, परन्तु इस कार्य के संपादन के लिए मेरे पास प्रर्याप्त धन उपलब्ध नहीं हैं। जवान बेटी को भला घर में कब तक बैठाए रखा जा सकता है।और फिर निकट भविष्य में कहीं से कोई धन आने की उम्मीद भी नहीं दिखाई देती है। " ऐसा कहकर गुरु जी कुछ और उदास होने का नाटक कर लिए।                     कुछ सम्पन्न और समर्थवान परिवार के शिष्यों ने कहा--"गुरू जी ! आप बिल्कुल चिंता न करें, मैं अ

Rakshabandhan 2023 रक्षाबंधन (निबंध) भाई बहन के प्रेम का त्योहार, महत्त्व

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  रक्षाबंधन पर्व निबंध, rakshabandhan festival , essay on rakshabandhan in hindi, रक्षाबंधन त्योहार कब होता है। इस वर्ष 2023 को रक्षाबंधन 31 अगस्त गुरुवार को मनाया जाएगा। 1.भूमिका 2.रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं,  3.रक्षाबंधन कैसे मनाते हैं , 4.भाई बहन का पवित्र त्योहार , 5.उपसंहार। Introduction of rakshabandhan, rakshabandhan kyon manate hai, rakshabandhan kaise manate hai, bhai bahan ka pawitra tyohar. रक्षा प्रबंधन त्योहार rakshabandhan festival 2022 राखी बंधवा ले भैया सावन आयो , जिया तू लाख वरिष हो। रक्षाबंधन त्योहार 2023 में कब है ? इस वर्ष 31 अगस्त गुरु वार को रक्षाबंधन त्योहार मनाया जाएगा। भाई - बहन के पवित्र प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन श्रावणी पूर्णिमा को बड़े धूमधाम और उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। बहनों को इस दिन का बड़ा बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि उनके भाई दूर-दूर से उनके पास रक्षा सूत्र बधाने के लिए दौड़े चले आते हैं। बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और मिठाई खिलाती हैं। राखी के रेशमी धागे समर्पण,  प्रेम और त्याग के प्रतीक होते हैं।  रक्षाबंधन प्राचीन त्योहार है। पुराण

वर्षा -ऋतु(Varsha Ritu) हिंदी- निबंध

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वर्षा ऋतु निबंध, Varsha Ritu nibandh, rainy season essay,  ऋतुओं की रानी वर्षा, वर्षा का आगमन, वर्षा का प्रकृति पर प्रभाव, वर्षा से लाभ, वर्षा से नुकसान, वर्षा ऋतु में होने वाली बीमारियां, निष्कर्ष यदि बसंत ऋतुओं का राजा है तो वर्षा ऋतुओं की रानी है। वर्षा -ऋतु के आते ही आसमान में काले- काले बादल छा जाते हैं। मेघ घमंडी हाथियों की तरह गरज- गरज कर लोगों को डराने लगता है। घनघोर वर्षा होने लगती है। चारों ओर हरियाली छा जाती है। मानो प्रकृति रानी ने जैसे हरी चादर ओढ़ ली हो। काले- काले बादल देख मोर अपने पंख फैलाकर वनों में नाचने लगते हैं। पपीहे, दादुर, झींगुर की आवाज़ें प्रकृति में गूंज उठती है। ताल तलैया भर जाते हैं।  ग्रीष्म   ऋतु की मार से तपति धरा तृप्त हो जाती है। बागों में झूले लग जाते हैं। नव तरुणियों के मन उल्लसित हो जाते हैं।  नदियों में जल भर जाता है और उनका वेग भी बढ़ जाता है। मानो इतराती हुई अपने प्रियतम सागर से मिलने जा रही हो। और  किसानों की खुशियों की तो बात ही ना पूछो। वह हल बैल के लेकर अपने खेत की ओर निकल पड़ते हैं। धान की बुवाई प्रारंभ हो जाती है।                          

जब राजा जय सिंह छोटी रानी के प्रेम में---

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                          महाराजा जय सिंह राजा जय सिंह बड़ा प्रतापी राजा थे। कहते हैं, जब उनकी नयी नयी शादी हुई थी, तो वे अपनी छोटी रानी के प्रेम में इतने आसक्त हो गये थे  कि नयीनवेली दुल्हन को छोड़कर कभी रंगमहल से बाहर निकलते ही नहीं थे। नतीजा, राज्य का बुरा हाल हो रहा था।सब कुछ ठप। मंत्री-दरबारी सब बेचैन। अब क्या होगा? परन्तु राजा  के भोग विलास में खलल डालकर मृत्यु को कौन आमंत्रित करें। संपूर्ण राज्य में एक अजीब सी उदासी छाई थी। तभी एक सुप्रसिद्ध कवि बिहारी लाल कहीं से घूमते हुए वहां आ पहुंचे। मंत्रिपरिषद ने उन्हें सब हाल से अवगत करा कर कुछ करने का आग्रह किया। कवि बिहारी ने एक दोहा लिखकर राजा के अंत:पुर में भिजवाया।दोहा था---"नहीं पराग नहीं मधुर मधु, नहीं विलास यही काल।अली कली ही सो बध्यो , आगे कौन हवाल।।" अर्थात यदि भौंरा(राजा) कली (रानी) के प्रेम में ही बंधा  रहे तो फिर आगे क्या होगा ? जादू सा असर इस दोहे का राजा पर हुआ।वे तत्काल रंगमहल से बाहर निकल आए। जैसे गहरी  नींद से जागे, फिर सब कुछ ठीक हो गया।                                                               महाकवि बिह

#भारतवंशी न थकते हैं,न------!

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'भारतवंशी न थकते हैं न-रूकते हैं,न-----! हां भाई! और ,न हार मानते हैं।यही है हमारी विशेषता और हमारी पहचान।अथक परिश्रम--अर्थात् बिना थके,लक्ष्य के प्रति जागरूक और काम में तल्लीन। सामने पहाड़ हो , सिंह की दहाड़ हो। फिर भी ये रूके नहीं,कभी ये झुके नहीं।। बचपन में हिंदी की पुस्तकों में पढ़ी कविताएं आज भी अनवरत आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही है, क्योंकि सदियों की साधना और  शोध इनका मार्गदर्शन करता है। भारतवंशियो की जब आन पर बनी है तो कैसे इन्होंने अकेले ही सूखे रेगिस्तान का सीना चीरकर अपने और अपने समाज के लिए मीठे जल का सोता बहा दिया है।यह इतिहास जानता है। इसी प्रकार आदरणीय दशरथ मांझी का नाम आज विश्व इतिहास में इसलिए अमर है क्योंकि उन्होंने अकेले ही अपने मार्ग में आने वाले बिकट पहाड़ की छाती दो फाड़ कर अपना राह निकाल लिया था। मन चंचल है।कभी कभी चिन्तित भी होता है, परन्तु निराश नहीं होना है।जब सुबह के आठ बजते हैं तो भिन्न भिन्न वेश भूषा में सजे सड़कों पर स्कूल जाने वाले बच्चों की याद आती है,। बच्चों की किलकारियों से गूंजने वाली सड़कें, कैसी बंजर और उदास लगती है। विद्यालय की कक्षाओं में  देख

सफलता का रहस्य,सफल होने के मंत्र

''मरे हुए चूहे बेच बना महासेठ'' हां भाई , हां। यह बात बिल्कुल सत्य है। यह असंभव कार्य संभव कर दिखाया है आप जैसे ही किसी व्यक्ति ने। महत्त्व इस बात का नहीं है कि किसने किया, महत्त्व इस बात का है कि कैसे किया। किसके बलबूते पर किया। ऐसे कठिन और जटिल काम कोशिश,सोच और विश्वास के बलबूते संभव होता है। कोशिश का तात्पर्य अपने भविष्य को संवारने, सुन्दर बनाने और सुरक्षित करने का प्रयास से है।अब प्रश्न यह उठता है कि भाई, भविष्य क्या है, यह संवरता है कैसे। तो इस संबंध में विद्वानों ने यह मत प्रदान किया है कि हमें प्रतिदिन दिन भर के कार्यों का लिस्ट बनाकर करणीय कार्यों की सूची तैयार करनी चाहिए और फिर ईमानदारी से उसे पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। आप देखते हैं न, डायरी के पन्नों पर वर्ष के दिन, तारिख अंकित रहते हैं। इसका उद्देश्य यही है। इसी तरह हफ्ते, महिने,साल ही नहीं वल्कि संपूर्ण जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। और फिर जीवन पर्यन्त उसे प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।सोच भी कार्य सिद्धि का एक बड़ा महत्व पूर्ण हिस्सा है।एक कामयाब व्यक्ति सदैव अपने काम के प्रति साकारात्मक सोच

मित्रता : एक अनमोल खजाना, अचूक औषधि friendship.

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Mitrta kya hai, सच्चे मित्र कैसे होते हैं ? मित्रता किससे करनी चाहिए। मित्रता अनमोल निधि है,"निज दुःख गिरि सम रज करि जाना। मित्र के दुःख रज मेरू समाना।जे न मित्र दुःख होहि दुखारि।तिनहि विलोकत पातक भारि।। अर्थात, अपना दुख बड़ा हो फिर भी उसे छोटा समझो और मित्र का दुख छोटा हो फिर भी उसे बड़ा समझो। श्रीराम नरोत्तम हो कर भी बेसहारा सुग्रीव से मित्रता की।सुग्रीव के दुख के सामने अपने दुःख को थोड़ी देर के लिए भूल से गये।और फिर उन्होंने किस प्रकार सुग्रीव की सहायता की ,यह सभी जानते हैं। दुःख में मित्र की भरपूर सहायता करनी चाहिए। गोस्वामी तुलसीदास जी ने तो यहां तक लिख दिया है कि"धीरज धर्म मित्र अरू नारी। आपत काल परेखहु चारि। भाई, मित्रता की परीक्षा तो आपत्ति विपत्ति में ही होती है।सुख और आनंद की मित्रता को क्या नाम दें, विचार करना होगा।अब जरा कुमित्रो या कपटी मित्रों की भी चर्चा कर ली जाए।   कौवे ,हिरण और सियार की कहानी याद करें,कपटी मित्र कैसे मारने तथा सच्चा मित्र कैसे बचाने का प्रयत्न करता है। और अंततः बचाने वाले छोटे कौवे की जीत होती है।तो भाई, विपत्ति परेशानी तो आती ही है परीक्षा

मन की स्वतंत्रता

तन का मन से बहुत गहरा और अन्योनाश्रित संबंध है। कहते हैं,मन स्वस्थ , सुंदर और स्वतंत्र तो तन भी स्वस्थ, सुंदर और स्वतंत्र रहेगा, इसमें थोड़ा भी संसय नहीं करना चाहिए।आप देखिएगा, बड़े बड़े जानलेवा और घातक बीमारियों से मनुष्य तब बचा रहता है जब तक उसे बीमारी का पता नहीं चलता, लेकिन जैसे ही उसे यह अहसास हो जाता है कि उसे तो बड़ी भयंकर और घातक बीमारी ने धर दबोचा है तो उसे बचाना बड़े बड़े चिकित्सक के लिए भी कठिन हो जाता है। तात्पर्य बिल्कुल साफ है,मन सुदृढ़ और सही तो तन भी ठीक। इसीलिए विद्वानों ने तन की पराधीनता से अधिक खतरनाक मन की पराधीनता को माना है। मनुष्य मन से परतंत्र रहेगा तो वह स्वतंत्रता की बात भी सोच नहीं सकेगा।इस तरह वह युगों युगों तक, पीढ़ी दर पीढ़ी गुलामी की इन जंजीरों में जकड़ा हुआ रहेगा। इस संदर्भ में एक बड़ी रोचक कहानी याद आ रही हैं। एक सांप और मेंढक में बहस छिड़ गई। मैं तो मैं। मेंढक ने कहा, तुम्हारे बिष से नहीं,वल्कि तुम्हारे बिष के भय से लोग मर जाते हैं। सांप मेंढक की इस बात को मानने को तैयार नहीं था। उधर से एक आदमी आ रहा था, हाथ कंगन को आरसी क्या, हुआ कि आजमा लिया जाए।तय ह