फूल और कांटा (Phul aur Kanta) poem
Phul aur kanta poem १.कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का जीवन परिचय। २.कविता पाठ। ३.कविता का शब्दार्थ। 4. फूल और कांटा कविता का भावार्थ। फूल और कांटा कविता में कांटा किसका प्रतीक है ? फूल और कांटा कविता में फूल किसका प्रतीक है ? फूल और कांटा कविता में कवि क्या कहना चाहते हैं ? 5. फूल और कांटा कविता का प्रश्न-उत्तर। "पुष्प की अभिलाषा" सुप्रसिद्ध कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की कालजयी देशभक्ति कविता है। यहां कवि ने देशधर्म को सर्वोपरि मानते हुए मातृभूमि के श्री चरणों में समर्पित होने की प्रेरणा दिया है। पुष्प की यही अभिलाषा है कि वह मातृभूमि पर शीश चढ़ाने वाले वीर सैनिकों की सेवा करते हुए स्वयं को स्वदेश पर न्यौछावर कर दे। 1. कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी का जीवन परिचय - हरिऔध जी का जन्म 1865 ई में निजामाबाद, जिला आजमगढ़ में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के द्विवेदी युग के यह विख्यात कवि के साथ-साथ उपन्यासकार, आलोचक और इतिहासकार भी थे। उन्होंने उर्दू, फ़ारसी और संस्कृत का ज्ञान घर पर प्राप्त कर प्रमामाबाद के मिडिल स्कूल में शिक्षक बन गए। बाद में कानूनगो भी बने