संदेश

लक्ष्मी जी के साथ क्यों करते हैं गणेश जी की पूजा !

चित्र
लक्ष्मी जी के साथ क्यों करते हैं गणेश जी की पूजा, Lakshmi ke saath kyon karte hai ganesh ki puja आप क्या जानते हैं, लक्ष्मी जी के साथ क्यों करते हैं गणेश जी की पूजा। नहीं! तो आज जान लीजिए। यदि आप घर में सुख समृद्धि और शांति लाने के इच्छुक हैं तो माँ लक्ष्मी के साथ श्री गणेश की पूजा अर्चना करेंगे। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार लक्ष्मी जी को इस बात का घमंड हो गया कि सभी संसार उनकी पूजा करता है और उन्हें पाने के लिए लालायित रहता है। यह बात को विष्णु भगवान समझ गए। उन्होंने माँ लक्ष्मी से कहा, भले ही सारा संसार आपको पूजता है और पाने के लिए लालायित रहता है, लेकिन अभी तक आप पूर्ण नहीं हैं। आप में एक बड़ी कमी है। इस बात से माता लक्ष्मी बड़ी उदास हुईं। वह दुखी मन से अपनी सहेली पार्वती जी के पास अपने मन की बात बताई। माता पार्वती जी लक्ष्मी जी के दुःख को दूर करने के लिए अपने पुत्र गणेश जी को लक्ष्मी जी की गोद में डाल दी। तब से गणेश जी लक्ष्मी जी के दत्तक पुत्र माने जाने लगे। लक्ष्मी जी इस बात से बहुत खुश हुई। मैं उसी के पास जाऊंगी। उन्होंने वरदान देते हुए कहा, जो व्यक्ति मेरे पुत्र गणेश के साथ मे

कर्ण को गुरु के श्राप ने मारा

चित्र
  महाभारत युद्ध में कर्ण की मृत्यु होने पर अर्जुन का अहंकार सातवें आसमान पर पहुंच गया था। उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा, केशव आप लोग व्यर्थ ही कर्ण को इतना महत्व दें रहे थे। वह तो मेरे पैर की जूती के बराबर भी नहीं था। उसकी क्या औकात जो मुझ -सा संसार के महान धनुर्धर का सामना कर सके।  घर की याद कविता भवानी प्रसाद मिश्रा    क्लिक करें और पढ़ें। फिर उसने घमंड में नथूऩे को फूलाते हुए कहा, - केशव! मैं ठीक कह रहा हूँ न? पार्थ सारथी श्रीकृष्ण ने देखा कि अब अर्जुन अपने अहंकार के जोश में सीमा से अधिक आगे बढ़ता जा रहा है, अब उसके अहंकार के घोड़ों को रोकना बहुत जरूरी है। तब उन्होंने कहा, अच्छा पार्थ! मैं कौन हूँ, यह तो तुम अच्छी तरह जानते हो। मैंने अपना विराट रूप भी तुझे दिखाया है। मैं तीनों लोकों का स्वामी हूं और तीनों लोकों का भार लेकर आपके रथ पर विराजमान था, फिर भी कर्ण युद्ध भूमि में अपने अस्त्रों के आघात से आपके रथ को दो कदम पीछे ढकेलने में सफल हो जाता है। अब आप  ही कहेंगे, श्रेष्ठ धनुर्धर तुम हो या कर्ण?  वास्तव में कर्ण का वध आप नहीं, बल्कि उसके गुरु भार्गव परशुराम के श्राप ने किया है। श्रीकृष्

दीपावली, धनतेरसdeepawali, Dhanteras

चित्र
दीपावली 2024 , 31 अक्टूबर को तथा धनतेरस 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। दीपावली पर निबंध, deepawali nibandh, essay on deepawali in hindi विषय - सूची दीपावली क्या है दीपावली क्यों मनाया जाता है। दीपावली की कहानी। नरकासुर का वध। राम वापस अयोध्या आए। दीपावली की शोभा। धनतेरस का त्योहार। धनतेरस पर खरीदारी दीपावली पर सावधानी दीपों का त्योहार दीपावली कार्तिक मास के अमावस्या को संपूर्ण भारतवर्ष में धूमधाम से मनाया जाता है। वर्षा ऋतु की गंध को साफ करने का अभियान भी दीपावली है। दीपावली के एक महीने पूर्व से ही लोग अपने घरों की सफाई करने में लग जाते हैं। दीपावली की कहानी भारतवर्ष के प्रत्येक त्योहारों में कोई ना कोई पौराणिक या ऐतिहासिक कथा कहानी अवश्य जुड़ी रहती है। दीपावली से जुड़ी भी कई पौराणिक कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार इसी दिन दशरथ नंदन श्री राम महा पापी रावण का सर्वनाश कर के अपने अनुज लक्ष्मण और पत्नी          सी ता माता के साथ अयोध्या वापस आए थे। उनके सकुशल वापस अयोध्या आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने घी के दिए जलाए थे और खुशियां मनाई थीं। तब से यह त्योहार धूमधाम से प्रत्येक वर्ष मनाया जाने