संयम की बात: स्वामी विवेकानंद जी के साथ
एक बार की बात है स्वामी विवेकानंद जी के चेलों ने कहा, "स्वामी जी! मैं अमेरिका जाना चाहता हूँ। वहाँ जाकर भारत की संस्कृति, दर्शन और रीति रिवाज आदि का प्रचार - प्रसार करूँगा। मुझे आप विदेश जाने की अनुमति और आशीर्वाद प्रदान करनें की कृपा करें। "स्वामी जी ने कहा," सोचकर बताऊंगा। "शिष्य स्वामी जी का उत्तर सुनकर हैरान रह गए। शैलों ने फिर से सवाल किया है। स्वामी जी का फिर वही उत्तर था, "सोचकर बताऊंगा।" शिष्या समझ गई कि स्वामी जी उसे अमेरिका भेजना नहीं चाहते हैं। बावजूद इसके स्वामी जी के पास रूका रहा। दो दिनो के बाद स्वामी जी ने चेलों को अपने पास बुलाया और कहा, "तुम अमेरिका जाना चाहते हो तो जा सकते हो, मेरा आशीर्वाद तुम्हारा साथ।" चेलों ने स्वामी जी से पूछा, दो दिन का समय क्यों लिया गया? "स्वामी जी ने कहा, " मैं दो दिनों में आपकी परीक्षा लेना चाहता था कि आपके भीतर स्थिरता है। तुम्हारा विश्वास डगमगा तो नहीं रहा? लेकिन आप दो दिन तक यहां रूककर मेरे आदेश की प्रतिक्षा करते रहे, और न ही आगे चले गए। जिसमें इतनी दृढ़ता और गुरु के लिए प्रेम भाव है,