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हम करेंगे आज भारत देश का जयगान, HM karenge aaj bharat

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  जयगान हम करेंगे आज भारत देश का जयगान। द्वेध दुख का अंत होगा, अब न त्रास दुरंत होगा,  अब फहरेगा हमारा एक विजय निशान! हम करेंगे आज भारत देश का जयगान ! यश का गान ! रजत श्रंग तुषार शेखर, तुंग यह हिमवान गिरिवर, हम यहां निर्दवंद्व होकर, बनेंगे गतिवान ! हम करेंगे आज भारत भूमि का जयगान ! यश का गान ! पोत – दल शत शत तरेंगे, पश्चिमी सागर भरेंगे, गर्जना में ध्वनित होगा, देश गौरव मान ! हम करेंगे आज भारत देश का जयगान ! यश का गान! बने विद्या भवन शोभन, देव मंदिर से सुपावन हम करेंगे देश भारत, ज्ञान वृद्ध महान ! हम करेंगे आज भारत देश का जयगान ! यश का गान !  कवि सुब्रमण्यम भारती। शब्दार्थ द्वेध – दो प्रकार के ‌। अंत – समाप्त ।  त्रास – दुख । दुरंत – प्रबल, प्रचंड । गिरि – पर्वत । गति – चाल । तुषार शेखर – बर्फ का घर , हिमालय। जग जीवन में जो चिर महान (क्लिक करें और पढ़ें) हम असत्य से बचें, सत्य पर चलें (क्लिक करें और पढ़ें) यश – प्रसिद्धि। पोत दल – नौकादल । शत – सौ । ध्वनित – गुंजायमान। सुपावन – पवित्र । रजत श्रृंग – चांदी जैसी चमकीली चोटियां। निर्द्वन्द्व – जिसका कोई विरोधी न हो। दो बैलों की कथा  

दो बैलों की कथा, Do bailo ki katha लेखक – प्रेमचंद

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  दो बैलों की कथा,  लेखक – प्रेमचंद Do bailo ki katha, story " दो बैलों की कथा " मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी के द्वारा भारतीय किसान किस तरह अपने बैलों को  अपने परिवार की तरह मानते हैं, यह दर्शाया गया है साथ ही यह दिखाया गया है कि आजादी के लिए काफी संघर्ष करने की जरूरत होती है। दो बैलों की कथा कक्षा नौवीं में पढ़ी पढ़ाई जाती है। यहां कहानी का सारांश, लेखक प्रेमचंद का जीवन परिचय एवं पाठ का प्रश्न उत्तर सरल भाषा में दिया गया है। Table of contents दो बैलों की कथा कहानी का सारांश do bailo ki katha kahani ka Saransh, summary of do bailo ki katha, दो बैलों की कथा कहानी के लेखक प्रेमचंद का जीवन परिचय, do bailo ki katha ke lekhak kaun hai, biography of premchand, दोनों बैलों के नाम, हीरा और मोती कैसे बैल थे। कांजीहौस क्या होता है। दो बैलों की कथा कहानी कब लिखी गई थी। दो बैलों की कथा कहानी का संदेश। NCERT solutions, class ninth hindi शब्दार्थ लेखक प्रेमचंद का जीवन परिचय दो बैलों की कथा " कहानी का प्रश्न उत्तर NCERT solutions *************************

हम असत्य से बचें, सत्य पर चलें

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 हम असत्य से बचें,  सत्य पर चलें , प्रभो ! ऐसा वर दो। अंधकार से हमें उबारो, ज्योतिर्मय मानस कर दो। आत्मपरिचय (क्लिक करें और पढ़ें) कपट मृग (क्लिक करें और पढ़ें) विजय मृत्यु पर प्राप्त हमें हो, देव ! अमरता का दो दान सत्य मार्ग पर चलकर पाएं, अमर ज्योति का नया विहान।। शांति और सुख मिले सभी को, सबका जीवन मंगलमय हो। नहीं दुखी कोई भी जन हो, नहीं किसी को कोई भय हो।। शब्दार्थ असत्य -  झूठ। वर – वरदान। ज्योतिर्मय – रोशनी से भरपूर। मानस – मन , हृदय। विजय -  जीत । मृत्यु – मौत। अमरता – नहीं मरना। ज्योति – प्रकाश । मंगलमय – कल्याणकारी । जन – व्यक्ति  , भय – डर । हम असत्य से बचें सत्य पर चलें भावार्थ कवि कहते हैं, से प्रभु ! मुझे सत्य की राह दिखाओ। मुझे सत्य की राह पर चलने का आशीर्वाद दो। मुझे असत्य से बताओ। असत्य ही सबसे बड़ा पाप है। सत्य से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है। सत्य ही ईश्वर है। कवि आगे कहते हैं, से प्रभु ! मुझे अमरता का वरदान दो। हमरी कीर्ति अमर रहे। मैं सत्य के मार्ग पर चलकर एक नया और अमर कीर्तिमान स्थापित करूं।  वह आगे कहते हैं, से प्रभु ! अपनी कृपा संपूर्ण विश्व पर बनाए रखना। संपूर्ण वि

कन्याकुमारी में सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य कहां से देखा जाए kanyakumari me sunrise and sunset kha se dekhen

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मुरुगन कुन्रम नागरकोविल से कन्याकुमारी के मार्ग में कन्याकुमारी से  तीन किलोमीटर   की दूरी पर मुरुगन कुन्रम स्थित है। कुनरम का अर्थ पहाड़ी है। मुरुगन  भगवान कार्तिकेय को कहा गया है। यहां उनकी भव्य मूर्ति स्थापित है। इस स्थान से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य बड़ा मनोरम होता है। 

रजनीकांत: सामान्य परिचय Rajnikant

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एनी बेसेंट का जीवन परिचय  भी पढ़ें रजनीकांत: सामान्य परिचय रजनीकांत का असली नाम --- शिवाजी राव गायकवाड़ जन्म तिथि – 12 दिसंबर, 1950 जन्म स्थान – बेंगलुरु (कर्नाटक )  माता का नाम – जीजाबाई पिता का नाम – रामोजी राव गायकवाड़ पत्नी – लाथा रंगराजन विवाह – 1981 में। संतान – दो पुत्रियां , ऐश्वर्या और सौंन्द्रया । सम्मान और पुरस्कार :  पद्मविभूषण, पद्मभूषण, तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवार्ड सात बार और दादा साहब फाल्के पुरस्कार (2019 ), फिल्मी गुरु – के. बालाचंद्र प्रारंभिक पेशा – बस कंडक्टर,कुली। पहली फिल्म --  1975 ई में तमिल फिल्म ' ह्मअपूर्व रांगगल’ में सहायक अभिनेता। 1976 में ‘ह्ममंडरू मुडिच ' । प्रसिद्ध फिल्में --  बिल्लू, मुथु, बाशहा , शिवाजी,एंथीरन आदि। बालिवुड फिल्में --- हम, अंधा कानून, भगवान दादा, आतंक ही आतंक , चालबाज। एनी बेसेंट का जीवन परिचय   रजनीकांत ने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के बदौलत एक बस कंडक्टर से फिल्म जगत के सुपर स्टार बनने का सपना पूरा किया। दक्षिण भारत के लोग उन्हें भगवान की तरह मानते हैं। फिल्मी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से उन्हें स

रिश्ता, कहानी,चित्रा मुद्गल, Rista story'

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 रिश्ता कहानी का सारांश रिश्ता कहानी का मुख्य पात्र कौन है? रिश्ता कहानी की लेखिका कौन है ? रिश्ता, कहानी,चित्रा मुद्गल, Rista story' रिश्ता कहानी चित्रा मुद्गल द्वारा रचित एक ऐसी लघु कथा है जिसमें मरथा नामक एक नर्स की करूणामयी भाव और कर्तव्यों का हृदय स्पर्शी वर्णन है । दो बैलों की कथा       (क्लिक करें और पढ़ें) अशोक  खंडाला घाट की चढ़ाई पार करते समय दुर्घटना ग्रस्त हो गया था। पूरे बाइस दिनों तक वह कोमा में रहा था। जब उसे होश आया तो उसके सामने थी उसका उपचार करने वाली सिस्टम मारथा मम्मी। मारथा अस्पताल में सिस्टम थी। उसी की देखभाल और तपस्या ने उसे बचाया था। चार महीने बाद जब वह अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ तब वह मरथा मम्मी से लिपट लिपट कर खूब रोया था। मरथा ने भी खूब हाथ हिला हिला कर उसे विदाई दी थी। जग जीवन में जो चिर महान  (क्लिक करें और पढ़ें) हम असत्य से बचें, सत्य पर च लें धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का (क्लिक करें और पढ़ें) आज बहुत अरसे बाद वह अस्पताल पहुंचा तो देखा कि मारथा मम्मी किसी मरीज की नाडी देख रही है। वह खुशी से पागल हो उठा और मारथा को बाजूओं में उठा लिया। मारथा मम्मी न

आत्मपरिचय Aatam parichay कवि हरिवंश राय बच्चन, 12वीं हिंदी

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  आत्मपरिचय ( Aatam parichay) कविता , कवि हरिवंश राय बच्चन -------------------------#--------------------------#------------------- आत्मपरिचय कविता का सारांश आत्मपरिचय कविता आत्मपरिचय कविता का शब्दार्थ आत्मपरिचय कविता की व्याख्या आत्मपरिचय कविता के प्रश्नोतर ************************************ आत्मपरिचय कविता के कवि हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय हालावाद के प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन का जन्म इलाहाबाद में 1907 ई और मृत्यु  मुम्बई में 2003 ई में हुई थी। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं -  मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, एकान्त संगीत,मिलनयामिनी, सतरंगिनी, आरती और अंगारे आदि। 1942 से 1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक, आकाशवाणी के साहित्यिक कार्यक्रमों से संबंधित, विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ रहे। व्यक्तिगत जीवन में घटी घटनाओं की सहज अभिव्यक्ति ही  हिन्दी साहित्य जगत में इनकी लोकप्रियता का आधार है। आत्मपरिचय कविता का सारांश (summery of atamprichay poem) आत्मपरिचय कविता में कविवर बच्चन जी ने अपने प्रेम मय व्यक्तित्व का स्वयं परिचय प्रस्तुत किया  वे कहते हैं, मैं अपने जीवन

धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का

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 धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का Dhobi ka kutta na ghar ka na ghat ka, lokkokotti अर्थ और कहानी कहावत लोकोक्ति किसे कहते हैं ? Kahawat and lokkokotti  “ धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ' सबसे पहले आप यह जान लें कि यह मुहावरा नहीं कहावत है। लोकोक्ति लोक में प्रचलित उक्ति अथवा लोक में कहीं गई बात। अब इस प्रसिद्ध कहावत का निर्माण कैसे हुआ। इसके पीछे की कहानी क्या है ? कहावत अथवा लोकोक्ति के पीछे की कहानी जान लेने से उसका अर्थ आसानी से याद रहेगा। धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का, कहानी कहानी कुछ इस प्रकार है – एक धोबी था। उसका काम था प्रतिदिन पास की नदी में जाकर कपड़े धोना। इसलिए वह रोज अपने गदहे पर गंदे कपड़ों का गट्ठर और दोपहर का भोजन लेकर नदी किनारे चल देता। उसके पास एक कुत्ता भी था। अपने यहां एक परंपरा है, भोजन करने से पहले गाय माता को और भोजन के बाद कुत्ते को खाना देने की। कुत्ते ने देखा कि उसका मालिक तो अपना भोजन लेकर नदी किनारे जा रहा है। इसलिए घर पर रहने से कोई फायदा नहीं है। जब मालिक वहां खाएगा तो हमें भी वही भोजन मिल जाएगा। धोबी नदी किनारे जाकर गदहे को घास चरने के लिए छोड़ दि

होली, Holi festival निबंध

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  1. होली का त्योहार 2. बसंत का मुुख्य त्योहार 3. मस्ती    उमंग 4. होलिका दहन 5 हिरण्यकश्यपु की कथा 6. होली के गीत         बसंत ऋतु और होली              Holi होली  बसंत के चरमोत्कर्ष का नाम होली है। इसे बसंत उत्सव अथवा मदनोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। बसंत ऋतु की मादकता जब पराकाष्ठा पर पहुंच जाती है तब रंगों का त्योहार होली आती है। चंपा , चमेली , कनेर, गुलाब, जुही, मालती, बेला, की मादक महक, आम्र-अशोक कटहल – जामुन की किसलय कोंपलों की चमक पिंक – पपीहे की पुकार आदि चरमोत्कर्ष पर पहुंच जाता है तब आनंद और अलमस्ती का त्योहार होली आती है।       होली के संबंध में कई पौराणिक कथाएं भारतीय समाज में प्रचलित है। एक कथा के अनुसार असुराधिपति सम्राट हिरण्यकशिपु अपने आप को भगवान मानता था और अपनी प्रजा को भी ऐसा ही करने को विवश करता था। परंतु उसका पुत्र प्रह्लाद श्री विष्णु भगवान का परम भक्त था। इसलिए दोनों पिता-पुत्र एक दूसरे के बैरी बन गए थे।  हिरण्यकशिपु अपने पुत्र की हरिभक्ति से तंग आकर उसे मरवाने की बड़ी कोशिशें की, लेकिन ईश्वर कृपा से वह बार-बार बच जाता था। अंत में वह प्रहलाद को मारने का जघन