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इसे जगाओ (कविता,) कवि - भवानी प्रसाद मिश्र ise jagao, bhawani Prasad Mishra

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  इसे जगाओ, कविता, कवि - भवानी प्रसाद मिश्र, Ise Jagao, Bhawani Prasad Mishra Ise jagao questions answers , इसे जगाओ कविता का प्रश्न उत्तर , इसे जगाओ पाठ का भावार्थ , इसे जगाओ कविता का मूल भाव क्या है, इसे जगाओ कविता का मुख्य संदेश। कवि सोए हुए व्यक्ति को क्यों जगाना चाहते हैं ? भई, सूरज जरा इस आदमी को जगाओ ! भई, पवन जरा इस आदमी को हिलाओ ! यह आदमी जो सोया पड़ा है, जो सच से बेखबर सपनों में खोया पड़ा है। भई , पंछी इसके कानों पर चिल्लओ  । भई , सूरज ,  जरा इस आदमी को जगाओ। वक़्त पर जगाओ, नहीं तो जब बेवक्त जगेगा यह तो जो आगे निकल गए हैं उन्हें पाने --- घबरा के भागेगा यह। घबरा के भागना अलग है, क्षिप्र गति अलग है, क्षिप्र तो वह है जो सही क्षण में सजग है। सूरज, इसे जगाओ, पवन, इसे हिलाओ, पंछी, इसके कानों पर चिल्लाओ। शब्दार्थ पवन - हवा। बेखबर - अनजान। पंछी - पक्षी। जरा - कुछ, थोड़ा। वक्त - समय। क्षिप्र - तेज, गतिशील। बेवक्त - असमय। सजग - सचेत, जगा हुआ। क्षण - पर, समय। भावार्थ एवं व्याख्या कवि भवानी प्रसाद मिश्र कहते हैं, सवेरा हो गया है और यह आदमी अभी तक सोया हुआ है। संसार का नियम है कि सूर्योदय

सच्ची मित्रता, श्रीराम सुग्रीव की मित्रताRamsugriv mitrta

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                         सच्ची मित्रता Sachchi mitrta poem 8 class राम सुग्रीव मित्रता, Ramcharitmanas Ram sugriv mitrta, Ramcharitmanas, kishkindha,mitrta ke gun, kise mitra manna chahiye, सच्ची मित्रता का महत्व, सच्ची मित्रता की विशेषता, सच्ची मित्रता क्या होती है ? सच्ची मित्रता के उदाहरण, था सुग्रीव की मित्रता सच्ची मित्रता के उदाहरण हैं।  जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहिं बिलोकत पातक भारी।। निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना।। जिन्ह के असि मति सहज न आई। ते सठ कति हठि करत मिताई।। कुपथ निवारि सुपंथ चलावा। गुन प्रकटइ अवगुनन्हि दुरावा।। देत लेत मन संक न धरई । बल अनुमान सदा हित करई।। बिपत्ति काल कर सत गुन नेहा। श्रुति कह संत मित्र गुण ऐहा।। आगे कह मृदु बचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई।। जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहि भलाई।। सेवक सठ, नृप कृपण, कुनारी। कपटी मित्र सूल सम चारी।। सच्ची मित्रता की पहचान यह प्रसंग गोस्वामी तुलसीदास जी कृत श्रीराम चरित मानस के किष्किन्धाकाण्ड से अंकित है जिसमें श्रीराम ने सुग्रीव को सच्ची मित्रता के बारे में बताया  हैं।  श्र

स्वतंत्रता संग्राम की कहानी swatantrata sangram

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  स्वतंत्रता संग्राम की कहानी Swatantrata sangram, Jaliyawala bag, asahyog andolan, Namak kanoon, Kakori kand, Azad Hind fauj, Bharat chhoro andolan भारत लगभग 400 वर्षों तक विदेशियों का गुलाम रहा। यहां फ्रांसिसी भी आए, अपनी कालोनियां बसाए, पुर्तगाली आए। अंग्रेज भी व्यापार करने के बहाने आए। 1757 ई में प्लासी विजय के बाद अंग्रेजों का भारत पर पूरी तरह राजनीतिक अधिकार हो गया। उन्होंने हमारे देशवासियों पर बहुत अत्याचार किए। कठिन संघर्षों और बलिदान के बाद 15 अगस्त 1947 को हमारा देश स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता पाने के लिए हमारे पूर्वजों को अंग्रेजी शासन के कितने अत्याचार झेलना पड़ा है, आइए, उनके बारे में संक्षेप में जानकारी प्राप्त करें। जालियांवाला बाग कांड 1914 ई में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो गया। भारत के नेताओं को यह उम्मीद थी कि यदि इस युद्ध में वे इंग्लैंड का साथ देंगे तो उन्हें अंग्रेजी सरकार से कुछ सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। लेकिन उम्मीद के विपरीत भारत को रौलट एक्ट का सामना करना पड़ा। इस काले कानून का सर्वत्र विरोध किया गया। 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में ऐसी ही एक सभा चल

अमरकंटक की यात्रा Amarkantak Yatra

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हमारा  पड़ोसी देश नेपाल, क्लिक करें और देखें   अमरकंटक की यात्रा Amarkantak Yatra अमरकंटक, अमरकंटक किस राज्य में है। अमरकंटक का रहस्य, अमरकंटक से निकलने वाली नदियां,  Amarkantak, amarkantak kis rajya me hai. Banga adivasi  अमरकंटक भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य में एक ऐसा पर्वतीय और वन्य प्रदेश है जहां से दो पवित्र नदियां निकलती हैं। एक सोन और दूसरी नर्मदा। नर्मदा के उद्गम स्थल होने के कारण इस स्थान का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। अनेक पर्यटक यहां सालो भर घूमने आते हैं। आइए हम अमरकंटक की सुन्दरता और इसके धार्मिक महत्व को विस्तार से जानें। कटनी से बिलासपुर जाने वाली रेललाइन पर पेंडरा रोड स्टेशन है। घने जंगल और पहाड़ों के कारण रास्ता कठिन और दुर्गम है।  पेंडरा रोड स्टेशन से बस द्वारा जाने से अमरकंटक चालीस किलोमीटर पड़ता है। रास्ते के दोनों ओर ताड़ के पेड़ की तरह लम्बे लम्बे सराई नामक वृक्षों के वन हैं। टेढ़े-मेढ़े रास्तों के किनारे कल कल , छल छल करतीं नदी नाले मन को मोह लेते हैं। महाकवि कालिदास द्वारा रचित मेघदूत में आम्रकूट नामक पर्वत का उल्लेख है। यहां का अनुपम सौन्दर्य देखकर तो यक्ष

होम आइसोलेशन किसे कहते हैं, home Isoletion

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 Home Isoletion करोना की दूसरी लहर ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। खासकर भारत के कुछ राज्यों में तो स्थिति अत्यंत भयावह हो गई है। स्थिति ऐसी बन गई है कि बदलते मौसम के कारण भी थोड़ी नाक बही या खांसी होने पर अफरातफरी मच जाती है। लोग दहशत में आकर अस्पतालों की ओर दौड़ पड़ते हैं। नतीजा यह होता है कि जरूरतमंदों को मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराने में अस्पताल असमर्थ हो जाते हैं , क्योंकि उनपर लोगों की अफ़रा-तफ़री के कारण दबाव बहुत बढ़ गया है। ‌करोना के हल्के लक्षण आने पर होम आइसोलेशन में रहकर भी करोना को हराया जा सकता है। चिकित्सक के परामर्श से होम आइसोलेशन के नियमों का पालन कर बहुतों ने करोना पर विजय प्राप्त की है। तो आइए, हम जानते हैं कि होम आइसोलेशन किसे कहते है ? और इसमें क्या नियम और सावधानियां बरतनी चाहिए। होम आइसोलेशन किसे कहते हैं ? यदि मरीज में कोविड 19 के गंभीर लक्षण नहीं हो तो डाक्टर के सही दिशा निर्देश का पालन करते हुए घर पर ही परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रहकर इलाज करवाना ही होम आइसोलेशन कहलाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह 80 प्रतिशत मरीजों को अस्पताल जाने की जरूरत नही

काकी कहानी, सियाराम शरण गुप्त,Kaki

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  काकी ( कहानी ) लेखक सियाराम शरण गुप्त Kaki story, shiyaram sharan gupt Questions answers काकी कहानी लेखक सियाराम शरण गुप्त, काकी कहानी का सारांश, काकी कहानी का उद्देश्य, काकी कहानी से क्या शिक्षा मिलती है। श्यामू कौन था। श्यामू की मां को क्या हुआ। पतंग किसलिए खरीदा गया था। विश्वेश्वर कौन थे। श्यामू आकाश की ओर क्यों देखा करता था । सुखिया दासी के लड़के का क्या नाम था ? पतंग के लिए पैसे कहां से आए। काकी कहानी में लेखक ने बाल मनोविज्ञान का सुन्दर और यथार्थ वर्णन किया है। बच्चों का मन कितना भावुक होता है, इसे बहुत गंभीरता के साथ समझने की आवश्यकता होती है। इस कहानी में लेखक सियाराम शरण गुप्त ने पाठकों को बताने का प्रयास किया है कि हमें अपने बच्चों के प्रति संवेदनशील और सजग रहने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में इस कहानी की  सार्थकता और अधिक बढ़ गई है। काकी कहानी का सारांश kaki story summary श्यामू नाम का एक बालक है। वह अबोध है। उसकी मां का देहांत हो गया है। परन्तु उसे मृत्यु का अर्थ नही मालूम है। घर के सारे लोग  विलाप कर रहे हैं। उसकी मां मृत्यु शैय्या पर लेटी हुई है। जब उसकी मां को लोग श्मश

जग जीवन में जो चिर महान, jag jivan men jo chir mahan

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 जग जीवन में जो चिर महान,jag jivan me jo chir mahan poem Poet Sumitra Nandan pant जग जीवन में जो चिर महान सौंदर्य पूर्ण और सत्य प्राण, मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ, जो हो मानव के हित समान। जिससे जीवन में मिले शक्ति, छूटे भय संसार, अंधभक्ति, मैं वह प्रकाश बन सकूं नाथ, मिल जाए जिसमें अखिल व्यक्ति। पाकर प्रभु, तुमसे अमर दान, करके मानव का परित्राण, ला सकूं विश्व में एक बार, फिर से नवजीवन का विहान।  सुमित्रानंदन पंत शब्दार्थ जग – संसार । सौंदर्य- सुन्दरता। चिर – सदा रहने वाला, अमर। मानव – मनुष्य को। हित – भलाई। शक्ति – ताकत । भय – डर। अंधभक्ति – अंधविश्वास भरी भक्ति। संशय – शक। प्रकाश – रोशनी। अखिल – सब। अमर – जो न मरे। परित्राण – पूरी रक्षा। विश्व – संसार। नवजीवन – नया जीवन। विहान – सवेरा। जग जीवन में जो चिर महान कविता का  भावार्थ सुप्रसिद्ध छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत परम पिता परमेश्वर को प्रणाम करते हुए यह प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु ! इस संसार में मैं उसका प्रेमी बनूं जो मानव का कल्याण चाहता हो। मेरे मन में ऐसा भाव भर दो जिससे मैं समस्त जीवों का कल्याण कर सकूं। मेरे सारे उद्योग ज