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Sabse khatarnak 11 hindi, सबसे ख़तरनाक,पाश

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blog post writer Dr.Umesh Kumar Singh  सबसे ख़तरनाक, कविता,   Sabse khatarnak, poet Pash, Sabse khatarnak Poem, Sabse khatarnak poem summary, Sabse khatarnak kya hai, biography of poet Pash, Sabse khatarnak 11th class hindi, kiski mar Sabse khatarnak nhi hoti, Sabse khatarnak poem me Chand kiska Pratik hai, mehnat ki loot Sabse khatarnak nhi hoti hai, Sabse khatarnak Poem explanation in hindi, main theme of Poem Sabse khatarnak, Sabse khatarnak kya hai by Awtar Singh  Sandhu Pash. 11hindi, Aroh bhag 1 सबसे ख़तरनाक कविता, सबसे ख़तरनाक कविता का सारांश, भावार्थ सबसे ख़तरनाक क्या है, कवि पाश का जीवन परिचय, कवि पाश का साहित्यिक योगदान, कवि पाश का असली नाम, ग्यारहवीं कक्षा हिंदी, किसकी मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती, सबसे ख़तरनाक कविता की हिंदी व्याख्या, सबसे ख़तरनाक कविता का मूल भाव, कवि पाश सबसे ख़तरनाक क्या मानते हैं,  मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती,  सबसे ख़तरनाक कविता में चांद किसका प्रतीक है, सबसे ख़तरनाक कविता का शब्दार्थ। 11 वीं हिन्दी आरोह भाग 1 ग्यारहवीं कक्षा , आरो

Pipplad, पिप्पलाद ऋषि की कहानी

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पिप्पलाद की कहानी Pipplad ki kahani वृत्तासुर का आतंक Viritasur ka atank वृतासुर स्वर्ग पर आक्रमण कर सभी देवताओं को हरा दिया। सभी देवता स्वर्ग छोड़ कर भाग गए। उनके पास कोई अस्त्र-शस्त्र  नहीं था जिससे वृत्तासुर का नाश हो। देवराज इन्द्र बहुत दुखी और चिंतित थे। उन्होंने भगवान की आराधना की । भगवान ने देवराज इन्द्र को बताया कि महर्षि दधीचि की हड्डियों से विश्वकर्मा जी वज्र बनावे तो उस वज्र से वृतासुर को मारा जा सकता है। Maharshi Dadhichi महर्षि दधीचि महर्षि दधीचि महा तपस्वी ऋषि थे। उनकी तपस्या के प्रभाव से सारे जीव जंतु तथा पेड़ पौधे उनकी बात मानते थे। ऐसे महान तपस्वी को देवता मार तो नहीं सकते थे, केवल याचना ही कर सकते थे। इसलिए देवताओं ने महर्षि दधीचि की आराधना करके उनकी हड्डियां मांगी। महर्षि दधीचि ने कहा ,-- यह शरीर तो एक दिन नष्ट ही होगा, क्योंकि एक न एक दिन मरना सबको है। यह शरीर किसी का उपकार करने में नष्ट हो, इससे अच्छा भला क्या हो सकता है। मैं योगबल से अपना शरीर त्याग रहा हूं, आप लोग हड्डियां ले लें। महर्षि दधीचि ने योग से शरीर छोड़ दिया। उनकी हड्डियों से विश्वकर्मा जी ने वज्र बनाया

Mata ka Anchal, माता का आंचल, शिवपूजन सहाय

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 माता का आंचल, कहानी, लेखक शिव पूजन सहाय,Mata ka Anchal,10thclass, Hindi, Shivpujan Sahay क्षितिज, 10वीं हिंदी, माता का आंचल कहानी का सारांश, लेखक आचार्य शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय, शिवपूजन सहाय का जन्म, उनकी प्रमुख रचनाएं, हिन्दी साहित्य में शिवपूजन सहाय का योगदान,माता का आंचल कहानी कहा से ली गई है। माता का आंचल साहित्य की कौन सी विधा है। माता का आंचल किस शैली में लिखी गई है। माता का आंचल शीर्षक उचित है,या अनुचित। माता का आंचल कहानी की कौन सी घटना पाठक को अधिक प्रभावित करती है। माता का आंचल कहानी की पृष्ठभूमि, माता का आंचल कहानी का मूल भाव, माता का आंचल कहानी का प्रश्न उत्तर। Kshitij 10th, hindi, Mata ka Anchal sarans,Mata ka Anchal story in Hindi, biography of writer Shivpujan Sahay, birth, books of Shivpujan Sahay, hindi sahitya me Shivpujan Sahay ka yogdan, title of story, main theme of Mata ka Anchal, dehati duniya, NCERT solutions, वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर, MCQ  माता का आंचल कहानी का सारांश, summary of story Mata ka Anchal, written by Shivpujan Sahay लेखक के पिता सवेरे सवेरे उठकर

Health and wealth, स्वास्थ्य और धन

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   स्वास्थ्य और धन, health and wealth, Table of contents,  विचारणीय विषय, जिसका विवरण यहां प्रस्तुत किया गया है-- Health is wealth, स्वास्थ्य ही धन है।  Health is greater than wealth, स्वास्थ्य धन से बढ़कर है। Health and mental peace, स्वास्थ्य और मानसिक शांति। Health and saving, स्वास्थ्य और बचत, स्वास्थ्य के लिए बीमा, insurence for health, Benifit of good health, अच्छे स्वास्थ्य के लाभ। खराब स्वास्थ्य के नुक़सान, cause of bad health, खराब स्वास्थ्य के कारण, अच्छे स्वास्थ्य के उपाय, स्वास्थ्य और योग, health and yoga, स्वास्थ्य और संगीत, health and music, स्वास्थ्य और संतुलित आहार, health and balance diet. Conclusion, निष्कर्ष। स्वास्थ्य ही धन है, health is wealth in hindi मानव शरीर ईश्वर की अनमोल कृति है। पुराणों में वर्णित है कि कई हजार प्राणियों में जन्म लेने के बाद मनुष्य का शरीर प्राप्त होता है। और फिर यदि सुन्दर, स्वस्थ्य और सुडौल शरीर नहीं रहे तो सब बेकार हो जाता है, क्योंकि स्वस्थ शरीर से ही हम संसार की सुख सुविधाओं का उपभोग करते हुए जगत का कल्याण कर सकते हैं, इसलिए अच्छे स्वास

सूरदास के पद,Surdas ke pad,mero man anat khan

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            सूरदास के पद, सूरदास का जीवन              परिचय            Surdas ke pad, Surdas ka              Jiwan parichay ************************************************* Table of contents मेरे मन अनत कहां सुख पावै खेलत में के काको गुसैया सोभित कर नवनीत लिए ऊधौ तुम हौ अति बड़भागी मन की मन में माझ रही हमारे हरि हारिल की लकरी हरि हैं राजनीति पढ़ सूरदास का जीवन परिचय जन्म, मृत्यु, गुरु का नाम प्रश्न उत्तर भ्रमर गीत, भावार्थ एवं व्याख्या सूरदास और अकबर सूरदास और अष्टछाप कक्षा दसवीं हिन्दी Surdas ke pad Mero man anat kha Khelat me ko kako Sobhit kr navnit Class tenth hindi NCERT solutions Surdas Bharmar geet 10th hindi Date of birth of Surdas,place of birth Surdas Death of Surdas, number of pad written by Surdas. Guru of Surdas, Language of Surdas, name of books written by Surdas. Is Surdas blind by birth. Gopiyon and udhaw. Mero man anat khan sukh pawe  मेरौ मन अनत कहां सुख पावै। जैसे उड़ि जहाज को पंछी, फिरि जहाज पर आवै। कमल - नैन कौ छांड़ि महातम और देव कौं ध्यावै। परम गंग को छांड़ि पिय

हम पंछी उन्मुक्त गगन के,ham panchhi unmukta Gagan ke

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  हम पंछी उन्मुक्त गगन के Ham panchhi unmukta Gagan ke, poem कवि   शिव मंगल सिंह सुमन हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल भाव, भावार्थ, व्याख्या, शब्दार्थ, प्रश्न उत्तर। मुख्य संदेश। Ham panchhi unmukta Gagan ke kavita, NCERT solutions, summary, bhawarth, word meaning. हम पंछी उन्मुक्त गगन के, कविता हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजर बद्ध न गा पाएंगे, कनक तिलियो से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएंगे।                 हम बहता जल पीने वाले                 मर जाएंगे भूखे प्यासे                कहीं भली है कटुक निबोरी               कनक कटोरी की  से। स्वर्ण श्रृंखला के बंधन में.   अपनी गति उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं  तरु की फूनगी पर के झूले।                ऐसे थे अरमान की उड़ते               नील गगन की सीमा पाने,               लाल किरण सी चोच खोल                 चुगते तारक अनार के दाने।। होती सीमाहीन क्षितिज से  इन पंखों की होड़ी होड़ी,  या तो क्षितिज मिलन बन जाता  या तनती सांसों की डोरी।                 नीड़ न दो चाहे टहनी का                आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,                 लेकिन

रामचरितमानस की प्रबंध काव्य कल्पना पर विचार कीजिए, प्रबंध काव्य क्या है। Ramcharitmanas prabandh kavay

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      सिस्टर निवेदिता  पढ़ें  रामचरितमानस की प्रबंध काव्य कल्पना पर विचार कीजिए, प्रबंध काव्य क्या है। Ramcharitmanas  prabandh kavay इस लेख में हमने निम्नलिखित बातों पर चर्चा की है रामचरितमानस हिंदी की सर्वश्रेष्ठ प्रबंधात्मक महाकाव्य प्रबंध काव्य की विशेषता और रामचरितमानस प्रबंध काव्य के संबंध में रामचंद्र शुक्ल का मत रामचरितमानस की भाषा, छंद रामचरितमानस का भावुक प्रसंग रामचरितमानस की लोकप्रियता Ramcharitmanas prabandha Kavya, Ramcharitmanas ki lokpriyata, Ramcharitmanas ki bhasha, Ramcharitmanas me kitne kand hai, 7 रामचरितमानस तुलसीदास की सर्वश्रेष्ठ प्रबंधात्मक रचना है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रबंध रचना के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि प्रबंध काव्य में मानव जीवन का एक पूर्ण दृश्य होता है। उसमें घटनाओं की संबंध श्रृंखला और स्वाभाविक क्रम से ठीक-ठीक निर्वाह के साथ-सथ हृदय को स्पर्श करने वाले तथा उसमें नाना भावों का रसात्मक अनुभव कराने वाले प्रसंगों का समावेश होना चाहिए। इतिवृत्त के निर्वाह से रसानुभव नहीं कराया जा सकता । उसके लिए घटना चक्र के अंतर्गत ऐसी व्यापार और वस्तुओं

अंतराष्ट्रीय योग दिवस,21 जून 2021, international yoga day

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 International yoga day,21 June 2021, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2021, निबंध एवं भाषण प्रमुख विषय सूची योग, अतीत में योग का ज्ञान,योग दिवस की शुरुआत,  योग दिवस कब मनाया जाता है, योग दिवस मनाने के उद्देश्य, प्रमुख योगासन के नाम,  योगदिवस के 2021 के थीम क्या है। ,  योग की उत्पत्ति, योग के लाभ,  ब्रांड एंबेसडर आफ योग,  योग दिवस की देखरेख कौन करता है।  भारत में प्रथम योग दिवस ,  भगवत गीता में योग,  योग के जनक , महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग,  निष्कर्ष। योग क्या है मानव और प्रकृति का अभिन्न एवं अटूट संबंध है। मानव प्रकृति के जितना निकट होगा उसकी उतनी ही उन्नति होगी। प्रकृति से दूर रहने के प्रयास में उसकी सुख शांति छिन जाएगी। वह क्रमशः पतन की ओर अग्रसर होता जाएगा। अतः जिन्हें इन बातों की अच्छी समझ है वह किसी न किसी रूप में प्रकृति से जुड़े रहने का प्रयास करते हैं। इन्हीं में से एक सार्थक प्रयास का नाम है योग, जोकि मनुष्य को प्रकृति से जोड़े रखने में अत्यंत सहायक है। अतीत में योग मानव का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है। यह पांच तत्व है-- पृथ्वी, अग्नि , जल वायु और आकाश। हम लोग अपने दैनिक