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अप उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्द, उपसर्ग, Ap upsarg ( pre-fix) se banne wale shabad

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  'अप ' उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्द, उपसर्ग, Ap upsarg ( pre-fix) se banne wale shabad अप उपसर्ग से बनने वाले शब्द हैं -- अपयश, अपराध, अपवाद, अपशब्द, अपहरण , अपकार , अपमान , अपहरण, अपकीर्ति, अपकेंद्र। ****************************************************** Ap upsarg se banne wale shabad -- Apyash, Apradh, Apwad, Apshabd, Apharan, Apkar, Apman, Apharan, Apkriti, Apkendra. **************************************************** यहां आपने अप उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त किया है। हिन्दी भाषा और साहित्य से संबंधी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर बने रहें। उपसर्ग वह शब्दांश है जो किसी शब्द के आगे लगकर नये शब्द का निर्माण कर देता है। यहां आपने अप उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त कर चुके हैं। हिन्दी के अन्य जानकारी प्राप्त करने हेतु इस वेबसाइट पर बने रहें। अति उपसर्ग से बनने वाले शब्द

'अनु ' उपसर्ग से बनने वाले शब्द ,Anu upsarg ( pre-fix ) se banne wale shabad

           Dr.Umesh Kumar Singh 'अनु' उपसर्ग से बनने वाले शब्द ,Anu upsarg ( pre-fix ) se banne wale             shabad अनु का सामान्य अर्थ -- पीछे, गौण, समान, बाद में आनेवाला अनु उपसर्ग से बनने वाले शब्द -- अनुज, अनुचर, अनुगामी, अनुराग, अनुकूल, अनुसार, अनुभूति, अनुगमन, अनुसंधान, अनुकरण, अनुभव, अनुरोध, अनुशासन, अनुवाद, अनुरूप, अनुकंपा, अनुग्रह, अनुकूल, अनुसार।  **************"**************"***************"********"* Anu upsarg pre-fix se banne wale shabad Anuj, Anuchar, Anugami,  Anurag, Anukul, Anusar, Anubhuti, Anugaman, Anusandhan, Anukaran, Anubhaw, Anurodh, Anushasan, Anubad, Anurup, Anukampa, Anugrah, Anukul, Anusar. **********"*************"*****************"************ यहां आपने अनु उपसर्ग से बनने वाले शब्द के बारे में जानकारी प्राप्त किया है। हिन्दी विषय और हिंदी व्याकरण संबंधी जानकारी प्राप्त करने हेतु इस वेबसाइट पर बने रहें। वह शब्दांश जो किसी शब्द के आगे लगकर नये शब्द का निर्माण करते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं। अति उपसर्ग से बनन

अधि उपसर्ग का अर्थ, Adhi upsarg se banne wale shabad, Adhi Pre - fix in hindi use

' अधि ' उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्द,                     डॉ.उमेश कुमार सिंह 'अधि'  उपसर्ग का अर्थ, Adhi upsarg se banne wale shabad, Adhi Pre - fix in hindi use  अधि का सामान्य अर्थ है श्रेष्ठ, ऊपर।  अधि उपसर्ग से बनने वाले शब्द हैं -- अधिनायक, अधिकार, अध्यादेश, अधिपति, अधिकृत, अधिकरण, अधिवास, अधीश, अधिशुल्क, अध्ययन। ******************************************************* Adhi upsarg ( Pre - fix ) se banne wale shabad Adhinayak, Adhikar, Adhyadesh, Adhipati, Adhikrit, Adhikaran, Adhiwash, Adhish, Adhishulk, Adhyayan. ******************************************************** यहां आपने अधि उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्दों को जाना है। हिन्दी साहित्य और व्याकरण संबंधी जानकारी के लिए इस वेबसाइट का अध्ययन करते रहे। उपसर्ग किसे कहते हैं ?  वह शब्दांश जो किसी शब्द के आगे लगकर नये शब्द का निर्माण करता है, उपसर्ग कहलाता है। संस्कृत भाषा में बाइस उपसर्ग हैं , जिनकी जानकारी यहां दी गई है। इन उपसर्गों से बने शब्द हिंदी भाषा में मिलते हैं। अति उपसर्ग से बनने वाले शब्द

अति' उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्द, ati upsarg ( pre- fix ) se banne wale shabad

    डॉ.उमेश कुमार सिंह  ' अति' उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्द, ati upsarg ( pre- fix ) se banne wale shabad -------------------++-------------+-+-----++++--------------++------------- अति -- अतिरिक्त, अत्यंत, अतिक्रमण, अत्युतम, अत्याचार, अतिकोमल, अतिशय, अत्यंत, अत्यधिक, अत्याधुनिक, अत्यल्प। ********************************"**"******************** Ati --. Atirikat, atyant, atikarman, atyuttam, atyachar,atikomal, atishay, atyant,atyadhik, atyadhunik,atyalp. उपसर्ग शब्द रचना की प्रक्रिया है । वह शब्दांश जो किसी शब्द के आगे लगकर नये शब्द का निर्माण कर दे, उसे उपसर्ग कहते हैं । यहां आप अति उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्द के बारे में जानकारी प्राप्त किया है। यदि आप का कोई सुझाव हो तो हमें अवश्य लिखें। हिंदी से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे वेवसाईट पर बने रहें। अति' उपसर्ग लगने से बनने वाले शब्द, ati upsarg ( pre- fix ) se banne wale shabad अधि उपसर्ग से बनने वाले शब्द     डॉ.उमेश कुमार सिंह

लू के लक्षण, लू से बचाव के उपाय, Loo se kaise bache

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 लू के लक्षण और उपचार       Heat wave Loo ke lakshan and cure, upchar Table of contents लू क्या है ? लू लगने पर क्या प्रभाव पड़ता है ? लू का असर किस उम्र के लोगों को अधिक प्रभावित करता है ? लू कब लगती है ? लू लगने पर क्या करना चाहिए ? लू लगने के घरेलू उपचार बताएं। लू से कैसे बचें ? Loo kya  hai, Loo lagne par kya prabhv parta hai, Loo ka asar kis Umar ke logo par jyada hota hai, Loo lagne par kya karna chahiye, Loo ke gharelu upaye, Loo kya hai. भारत  एक ग्रीष्म प्रधान देश है। मार्च से जून - जुलाई तक यहां जबरदस्त गर्मी पड़ती है। तापमान 50 डिग्री के आसपास आ जाता है। ऐसी स्थिति में लू चलती है जिससे आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। लोग लूं ( heat wave ) की चपेट में आने लगते हैं। शरीर गर्म हो जाता है। बुखार और सिर दर्द का होना तथा उल्टी दस्त होना लू लगने के सामान्य लक्षण हैं। मनुष्य के साथ-साथ जानवरों के बच्चों को लू बहुत नुक्सान पहुंचाता है। आईए, इस लेख में लू के सामान्य लक्षण और लू से बचने के उपाय की जानकारी प्राप्त करें। लू के लक्षण चक्कर आना बेहोशी, उल्टी, तेज बुखार आना सिर और शरीर म

अनिद्रा , insomnia in hindi, कारण, लक्षण, बचाव एवं उपाय

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  अनिद्रा , insomnia in hindi, कारण, लक्षण, बचाव एवं उपाय,वल्ड स्लीप डे अनिद्रा एक एक ऐसी समस्या है जिससे लगभग संपूर्ण विश्व के लोग ग्रसित हैं। इसमें व्यक्ति को प्रयाप्त नींद नहीं आती है जिसके कारण मन अशांत रहता है और किसी काम में मन नहीं लगता है। स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है तथा रोग बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। अनिद्रा का कारण अत्यधिक चिंतित रहना है। अनियमित खान-पान और जीवनशैली भी अनिद्रा का कारण बन सकता है। तनाव से मुक्ति और उचित व्यायाम  अनिद्रा से बचाव में कारगर साबित हो सकता है। इस लेख में अनिद्रा के कारण और समाधान पर जानकारी प्राप्त करें। अनिद्रा की समस्या, कारण और समाधान अनिद्रा से 200 करोड़ लोग पूरे विश्व भर में परेशान हैं। हर साल मार्च महीने में तीसरे शुक्रवार को वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है। इसे पहली बार 2008 में मनाया गया। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को नींद और सेहत के बीच संबंध के प्रति जागरूक करना है। वास्तव में आजकल लोग भाग दौड़ भरी जिंदगी में कम सोने लगे हैं। इससे उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । इस साल विश्व स्लीप डे की थीम है - अच्छी नी

निजी करण और भारतीय अर्थव्यवस्था privacy policy and Indian economy

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  निजीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था , निबंध, privacy policy and Indian economy कुछ समय पहले भारत में सब कुछ सरकारी तंत्र के द्वारा चलाए जा रहे थे। निजीकरण की बात ही नहीं होती थी, परन्तु इसके परिणाम अच्छे नहीं आ रहे थे। लोगों में निष्क्रियता और आलस्य बढ़ती जा रही थी। इसलिए सरकार को कुछ उद्यमों को निजी क्षेत्रों के अन्तर्गत देना पड़ा। इसके लिए कुछ विदेश नीतियां भी उत्तरदाई है। इस लेख में निजीकरण की क्या आवश्यकता है, निजीकरण के लाभ और हानि के साथ साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को भी बताया गया है। अनिद्रा, कारण, प्रभाव और समाधान प्रमुख विंदू निजीकरण क्या है ? निजीकरण किसे कहते हैं ? ंंनिजीकरण की परिभाषा, निजीकरण क्यों आवश्यक  है ? निजीकरण के क्या लाभ हैं ? कुछ प्रमुख निजी कंपनियों के नाम क्या हैं ? भारत में निजीकरण क्यों आवश्यक है ? निजीकरण के लिए विदेशी नीतियां कैसे उत्तरदाई हैं ? निजीकरण की हानियां।    निजी करण का अर्थ --   निजी करण का अर्थ है उद्योग और व्यापार में राष्ट्रीय इकाइयों के नियंत्रण के बजाय व्यक्तियों, व्यक्ति समूह और संस्थानों का नियंत्रण होना। अब तक भारत के अधिका

भारूण्ड पंछी की कथा, दो मुख और एक पेट वाले पंछी की कथा ,

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भारूण्ड पंछी की कथा, दो मुख और एक पेट वाले पंछी की कथा , आपस की फूट जानलेवा साबित हो सकती है। शिक्षा प्रद कहानी किसी तालाब में एक पेट तथा अलग-अलग गर्दन वाला भरूण्ड नाम का पक्षी रहता था। समुद्र के किनारे घूमता हुआ पानी मैं उसे अमृत के जैसा कुछ फल प्राप्त हुआ। उस फल को खाते हुए उसने दूसरे मुख से  कहा-- अरेे मैंने समुद्र की लहरों के द्वारा लाए अमृत जैसा बहुत से फल खाए , लेकिन इस फल का स्वाद बड़ा अद्भुत है। ऐसा फल कभी नहीं खाया। लगता है जैसे यह फल पारिजात या हरिश्चंद्र वृक्ष से उत्पन्न हुआ है। अथवा अमृत के जैसा यह ब्रह्मा जी के द्वारा बनाया हुआ अद्भुत फल है। इसका स्वाद बेजोड़ है। तुम्हारे भाग्य में ऐसा फल पाना नहीं लिखा है।  पहले मुख की ऐसी  बातें सुनकर दूसरा मुख ने कहा, - अरे भाई , यदि ऐसा है तो मुझे भी वह अद्भुत फल का कुछ हिस्सा दो जिससे मेरी जीहवा भी उसका स्वाद चख सके । उसकी बातें सुनकर पहले मुख ने हंसकर कहा,  हम दोनों का एक ही पेट है और एक ही तृप्ति होती है , पत्नी भी एक है,तो अलग-अलग खाने से क्या लाभ  ? अच्छा है कि इन शेषफल द्वारा अपनी प्रिया को संतुष्ट किया जाए। ऐसा कह कर उसने बचे हु

भारतीय संस्कृति, Bhartiya sanskriti,

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  Bhartiya sanskriti, भारतीय संस्कृति, भारतीय संस्कृति की विशेषता, भारतीय संस्कृति की पहचान, भारतीय संस्कृति में नारी धर्म  भारतीय संस्कृति की परिभाषा, भारतीय संस्कृति का इतिहास, वैदिक काल में भारतीय संस्कृति, महात्मा बुद्ध और महावीर, महात्मा गांधी की सत्य और अहिंसा, भक्ति आन्दोलन,आलवार भक्त, सभ्यता और संस्कृति में अंतर। भारतीय संस्कृति की पहचान  Bhartiya Sanskriti in Hindi, vadic sanskriti, Bhartiya kala awam sanskriti, Bharat ki sanskriti, Bhartiya Sanskriti par nibandh,, sanskriti ka meaning in hindi, essay on Bhartiya Sanskriti in Hindi, sanskriti in Hindi  भारतीय संस्कृति का इतिहास बहुत पुराना है । हमें संस्कृति  का सामान्य अर्थ समझना चाहिए। वास्तव में संस्कृति किसे कहा जाता है ? विद्वानों का मत है कि मानव जीवन के दैनिक आचार व्यवहार, रहन-सहन तथा क्रियाकलाप आदि ही संस्कृति है। संस्कृति का निर्माण एक लंबी परंपरा के बाद होता है। संस्कृति विचार और आचरण के विनियम और मूल्य हैं जिन्हें कोई समाज अपने अतीत से प्राप्त करता है। अपने पूर्वजों से प्राप्त करता है। अतः कहा जा सकता है कि हम अपने

छाया मत छूना, कविता, tenth Hindi कवि गिरिजा कुमार माथुर, chhaya mat chhuna , poem , summary

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         बिमल हिंदी ‌.इन bimal hindi.in हिन्दी भाषा और लिपि के बारे में पढ़ें               डॉ.उमेश कुमार सिंह के द्वारा लिखित छाया मत छूना, कविता, गिरिजा कुमार माथुर, chhaya mat chhuna , poem , summary  छाया मत छूना कविता, छाया मत छूना कविता के कवि गिरिजा कुमार माथुर का जीवन परिचय, छाया मत छूना कविता का भावार्थ और व्याख्या,छाया मत छूना पाठ का प्रश्न उत्तर। Chhaya mat chhuna poem, Girija Kumar Mathur Jiwan parichay, chhaya mat chhuna questions answers . NCERT solutions, tenth class hindi poem chhaya mat chhuna,  "छाया मत छूना"  कविता के माध्यम से कवि गिरिजा कुमार माथुर यह बताने का प्रयास करते हैं कि जीवन में सुख और दुख दोनों आते हैं। सुख दुख के मिश्रण से ही जीवन बनता है। इसलिए बिते दिनों के सुख को याद कर वर्तमान के दुख को बढ़ावा देना उचित नहीं है।  छाया मत छूना  मन, होगा दुख दूना।  जीवन में हैं सुरंग सुधियां सुहावनी  छवियों की चित्र गंध फैली मनभावनी,  तन - सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,  कुंतल के फूलों की याद बनी चांदनी।  भूली सी एक छुअन बनता हर जीवन क्षण -  छाया मत छूना  मन,

सौर्य ऊर्जा निबंध, उपयोगिता और महत्व, उत्पादन और लाभ, solar energy, essay, souraya urja, production and utility

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 सौर्य ऊर्जा निबंध, उपयोगिता और महत्व, उत्पादन और लाभ, सौर्य उर्जा कैसे लगाएं  solar energy, essay, souraya urja, production and utility उर्जा अथवा बिजली उत्पादन के साधन, हमारे जीवन में बिजली का महत्व, सौर्य ऊर्जा का महत्व, भारत में सौंदर्य ऊर्जा का महत्व और स्थिति, energy utpadan ke sadhan, hamare Jiwan me bijali ka mahatva, importance, bharat me solar energy. हमारे जीवन में बिजली और उर्जा का महत्व हमारे जीवन में ऊर्जा का बहुत महत्व है। जब हमारे घरों की बिजली कुछ देर के लिए बंद हो जाती है तो हमें कैसा महसूस होता है, यह सब आप लोग अच्छी तरह जानते हैं। गर्मियों में यदि पंखे, कूलर ना चलाए जाएं तो बहुत बुरा हाल हो जाता है। रात को यदि बिजली ना हो तो बच्चों की पढ़ाई कैसे हो ? कार्यालय  और फैक्ट्रियों में तो बिजली के बिना सारा कामकाज ही ठप पर जाता है।  बिजली से रोशनी आती है और तमाम तरह की मशीनें चलती हैं। इतना तो आप जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिजली आती  कहां से हैं ? बिजली आती है ताप विद्युत गृहों से जिन्हें थर्मल पावर स्टेशन कहा जाता है। यहां कोयले को भारी मात्रा में जलाकर बिजली तै

संगतकार , कविता, कवि मंगलेश डबराल, भावार्थ एवं व्याख्या sangatkar poem class 10, Manglesh dabral, summary, questions answers.

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  संगतकार , कविता, कवि मंगलेश डबराल,  भावार्थ एवं व्याख्या sangatkar poem class 10, Manglesh dabral, summary, questions answers. Class 10th Hindi Table of contents संगतकार कविता के कवि का क्या नाम है। संगतकार की भूमिका, संगतकार कविता का उद्देश्य क्या है ? संगतकार किसे कहा जाता है ? संगतकार कविता के कवि का क्या उद्देश्य है ? संगतकार मुख्य गायक गायिकाओं की मदद कब करता है ? Tenth Hindi poem exercises.kshitiz - 2 summary , questions answers sangatkar poem Summary of poem sangatkar.            संगतकार कविता का सारांश संगतकार कविता गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व पर विचार करती है। संगतकार केवल गायन में नहीं फिल्म, नाटक आदि में भी होते हैं। संगतकार मुख्य गायक का साथ देता है । जब मुख्य गायक भारी आवाज में गाता है तब वह अपनी कोमल सुंदर आवाज में गायन को और अधिक सुंदर बना देता है। वह शिष्य हो सकता है, और छोटा भाई भी । जब मुख्य गायक अंतरे की जटिलताओं में खो जाता है या सरगम को लांघ जाता है, तब संगतकार ही स्थाई को संभाल कर गायन को आगे बढ़ाता है। कभी-कभी वह मुख्य गायक