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जन संचार माध्यम, संचार क्या है ? संचार के माध्यम, संचार के तत्व,संचार के प्रकार, sanchar,mass commnication ,

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जन संचार माध्यम, संचार क्या है ? संचार के माध्यम, संचार के तत्व,संचार के प्रकार, sanchar,mass commnication  , संचार किसे कहते हैं ? संचार के माध्यम से क्या समझते हैं ? उत्तर - संचार शब्द ' चर' धातु से बना है जिसका अर्थ है विचरण करना। एक जगह से दूसरी जगह जाना। यह जाना किसी का भी हो सकता है, मनुष्य का भी, पशु का भी, आवाज का भी। परन्तु हम यहां जिस संचार की बात कर रहे हैं वह है मानव संदेश का पहुंचना।  दो या दो से अधिक लोगों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान करना ही संचार कहलाता है। इसके लिए दो अनिवार्य लक्षण अनिवार्य है - दो या दो से अधिक व्यक्ति और उनके बीच किसी संदेश का संप्रेषण। कुल मिलाकर देखा जाए तो संचार की परिभाषा इस प्रकार बनेगा। Free English grammar course के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें  https://alison.com/course/diploma-inbasic-english-grammar-revised-2017?utm_source=alison_user&utm_medium=affiliates&utm_campaign=25200895 " सूचनाओं , भावनाओं, विचारों को लिखित, मौखिक या दृश्य श्रव्य माध्यमों के जरिए सफलतापूर्वक एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना ही संचार है "

श्रीमद्भागवत के अनुसार जनमेजय का नाग सत्र (नाग यज्ञ) Janmejay ka Nag yagy according to shreemadbhagwat Mahapuran

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  श्रीमद्भागवत के अनुसार जनमेजय का नाग सत्र (नाग यज्ञ) Janmejay ka Nag yagy according to shreemadbhagwat Mahapuran जब जनमेजय ने सुना कि तक्षकं ने उनके पिता श्री राजा परीक्षित को डस कर मार दिया है तब उन्हें बड़ा क्रोध हुआ। अब वह ब्राह्मणों के साथ मिलकर विधि पूर्वक सर्पों का अग्नि कुंड में हवन करने लगा क्योंकि उन्होंने यह प्रण कर लिया था कि इस संसार के सारे सर्पों का वह विनाश कर देंगे। उनके राज्य में बड़े बड़े विद्वान सिद्ध ब्रह्मण रहते थे। राजा जन्मेजय ने उनसे नाग यज्ञ करवाने का आग्रह किया। यज्ञ प्रारम्भ हो गया।   जन्मेजय के सर्प सत्र प्रारंभ होते ही बड़े-बड़े महासर्प यज्ञ कुंड में आ आकर गिरने लगे। वे आते और यज्ञ कुंड में जलकर भस्म हो जाते। इस तरह हजारों लाखों सर्प स्वाहा होने लगे। राजा जन्मेजय यज्ञ में स्वयं उपस्थित रहकर सर्पराज तक्षक का इंतजार कर रहे थे। लेकिन तक्षक का कहीं नामोनिशान नहीं था। राजा जन्मेजय ने यज्ञ पुरोहित और ब्राह्मणों से पूछा, हे गुरुदेव बड़े बड़े सर्प आपके मंत्र के प्रभाव से आकर इस यज्ञ कुंड की अग्नि में स्वाहा हो गये परन्तु मेरे पिता जी का हत्यारा तक्षक अभी तक क्यों

उत्साह कविता , कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, utsah kavita class tenth, suryakant Tripathi Nirala

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           by Dr.Umesh Kumr Singh उत्साह कविता , कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, utsah kavita class tenth, suryakant Tripathi Nirala class tenth  बादल, गरजो !- घेर घेर घोर गगन, धराधर ओ ! ललित ललित , काले घुंघराले, बाल कल्पना के से पाले, विद्युत छवि उर में, कवि नवजीवन वाले ! व्रज छिपा , नूतन कविता  फिर भर दो - बादल, गरजो ! विकल विकल , उन्मन थे उन्मन  विश्व के निदाघ के सकल जन , आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन! तप्त धरा, जल से फिर शीतल कर दो - बादल गरजो ! शब्दार्थ गगन - आकाश। धराधर - बादल। ललित - सुन्दर। विद्युत छवि - बिजली की चमक। नूतन - नया। विकल - परेशान। उन्मन - अनमनापन भाव। निदाघ - गर्मी । सकल - सब। तप्त - तपती हुई। कविता का अर्थ एवं भावार्थ उत्साह कविता  कवि बादलों से आग्रह करता है -- से बादल खूब गरजो। आकाश में घिर घिर कर खूब बरसों। हे बादल ! काले काले, घुंघराले बादल! तुम बाल कल्पना के जैसे हो। तुम्हारे भीतर नव जीवन और बिजली की चमक छिपी है, व्रज भी छिपा है, तुम एक नयी कविता को जीवन दो।  हे बादल ! इस गर्मी से तप्त धरती के लोगों को राहत दो। तुम अज्ञात दिशा से आकर गरजो, बरसो। जल भर दो, शीत

Lakhachak, tharthri Nalanda, लखाचक, थरथरी, नालंदा

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जन्मेजय का नाग यज्ञ, क्या हुआ था ?   दो                                                 Shiv mandir, Lakhachak लखाचक ग्राम थरथरी प्रखंड के दक्षिणी भाग में स्थित है। वर्तमान में इस ग्राम की उन्नति हुई है जो यहां आने पर सहज ही दिखाई देती है। पक्की सड़क, लगभग बीस घंटे बिजली, घर घर नल, आने जाने की सुविधा देखकर मैं प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। जानते हैं क्यों ? सबसे पहली बार 1985 ई में जब मैं यहां आया था तो लगभग कुछ नहीं था यहां। थरथरी थाना, और इक्का दुक्का दुकान। सड़कों का बुरा हाल। चले जाएंगे, लौटकर जब नूरसराय पहुंच जाते तब जान में जान आ जाती। कुछ पुरानी जर्जर बसें बिहार से थरथरी तक, लेकिन मुख्य साधन टमटम। मरीयल जैसे घोड़े, और लगभग वैसे ही इकवान। बच्चों के साथ जाते तो टमटम की सवारी करते हुए बच्चे खूब मजे लेते। लेकिन मैं सतर्क रहता कहीं टमटम उल्टा तो क्या होगा। लेकिन इकवान बड़ी सावधानी से रास्ता पार करा देता। लेकिन अब स्थिति बदल गई है। सरकार ने अच्छी सड़क बनवा दी है। नूरसराय से हिलसा तक बसें चलने लगी है । लखाचक जाने के लिए बस से थरथरी बाजार पर उतर जाइए, वहां से मुश्किल से एक किलोमीटर, पै

त्रिपुरा : पूर्वोत्तर भारत की खिड़की, Tripura : windows of North eastern India, घुमक्कड़ी, tourism

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  त्रिपुरा : पूर्वोत्तर भारत की खिड़की, Tripura : windows of North eastern India, घुमक्कड़ी, tourism Tripura ( त्रिपुरा ) को पूर्वोत्तर भारत की खिड़की कहा जाता है। त्रिपुरा अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। सैलानियों के लिए यह बहुत आकर्षण का केन्द्र है। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला, उनाकोटी, उदयपुर, कुमार घाट, अमरपुर ऐसा स्थान है जहां जाने के बाद जल्दी वापस आने का मन नहीं करता है। घुमक्कड़  के लिए यह बहुत सुंदर और मनोरम स्थल है। आइए, त्रिपुरा के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। त्रिपुरा की सैर, पूर्वोत्तर भारत की खिड़की यदि कोई पूर्वोत्तर भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृश्य पर नजर डालना चाहते हैं तो उन्हें त्रिपुरा आना चाहिए।  त्रिपुरा के जंगल, पहाड़ और मंदिर बहुत मनोरम हैं। अपनी विविधता के लिए भी यह राज्य बहुत प्रसिद्ध है ‌। सबसे पहले त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के शाही नज़ारों की बात करते हैं। यहां आने के बाद त्रिपुरा की पूरी झलक मिल जाती है। यहां उज्जयंत पैलेस, कुंजावन पैलेस, नीर महल ( वाटर पैलेस ) का सौंदर्य देखते ही बनता है। इन सभी महलो में शाही

अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखो जिसमें सच्चे मित्र के गुणों का वर्णन किया गया हो। Write a letter to younger brother describe quality of good friend.

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  अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखो जिसमें सच्चे मित्र के गुणों का वर्णन किया गया हो। Write a letter to younger brother describe quality of good friend. स्थान दिनांक प्रिय अनुज सुशील,  शुभ आशीर्वाद। यहां का सब समाचार ठीक है। आशा है तुम भी अपने छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर  रहे होंगे। आज रविवार है और प्रत्येक सप्ताह की तरह आज भी मैं तुम्हें एक पत्र में कुछ जरूरी बातें बता रहा हूं। इसे अपने जेहन में बैठकर रखना, बहुत काम आएगा। जब कोई नौजवान बाहर निकलता है तो उसके सिर पर मित्रता की धून सवार रहती है। स्कूल में, लाइब्रेरी में, खेल के मैदान में, बाजार में , जहां देखो वहीं दोस्ती का हाथ बढ़ा देते हैं। परन्तु हम जिससे मित्रता करते हैं, क्या वह मित्रता के लायक है या नहीं, इस पर हम कोई विचार नहीं करते। तो आओ, हम तुम्हें अच्छे मित्र के गुणों के बारे में जानकारी देते हैं। एक अच्छा मित्र औषधि के समान होता है। वह हमारे चरित्र के दोषों को दूर करता है और अच्छी बातें बताता है। अच्छा मित्र बुरा मार्ग पर चलने से रोकता है और अच्छे मार्ग पर चलने को प्रेरित करता है। वह सदा हमें ऊपर उठने में मदद करता है। अच्छा मित

अंतरिक्ष यात्रा( antariksh yatra ) class 8 पाठ एवं प्रश्न - उत्तर

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 अंतरिक्ष यात्रा ( antariksh yatra ) class 8 पाठ                  एवं   प्रश्न - उत्तर भारत की अंतरिक्ष यात्रा, भारत की अंतरिक्ष में उपलब्धि Indian space research organisation, पहला अंतरिक्ष यात्री कौन थे । यूरी गगारिन कौन थे ? थुम्बा क्यों प्रसिद्ध है ? गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते हैं? वायुमंडल किसे कहते हैं ? हमें आवाज कैसे सुनाई देती है ? वायुमंडल के ऊपर क्या है? आकाश में घूमते हुए तरह-तरह के ज्योति पिंड हमारा ध्यान आकर्षित कर लेते हैं। दिन में सूरज पृथ्वी को प्रकाशित करता है तो रात में शीतल चंद्रमा और असंख्य तारे आकाश को जगमगा देते हैं। यह आकाशीय पिंड पुरातन काल से मनुष्य के लिए कौतूहल और जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। इन्होंने कवियों और वैज्ञानिकों को बहुत आकृष्ट किया है। मनुष्य यह जानने को उत्सुक रहता है कि यह आकाशीय पिंड क्या है और यह चमकते कैसे हैं। क्या इन पर प्राणी है? क्या इन पर जीवन है? क्या इन पर जलवायु हैं? आइए आज इन्हीं बातों पर हम लोग विस्तार से चर्चा करते हैं और अंतरिक्ष के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। हमारी पृथ्वी के चारों ओर लगभग 600 किलोमीटर ऊपर तक वायुमंडल फैला ह

घुमक्कड़ी पाठ लेखक राहुल सांकृत्यायन कक्षा आठवीं, ghumkkdi by Rahul Sankrityayan class 8

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घुमक्कड़ी पाठ लेखक राहुल सांकृत्यायन कक्षा आठवीं, ghumkkdi by Rahul Sankrityayan class 8 घुमक्कड़ किसे कहते हैं, घुमक्कड़ी पाठ का सारांश, घुमक्कड़ी पाठ का शब्दार्थ, घुमक्कड़ी पाठ के प्रश्न उत्तर, घुमक्कड़ी पाठ के लेखक कौन है। घुमक्कड़ कौन हो सकतें हैं । घुमक्कड़ी के मार्ग में आने वाले बाधाएं। घुमक्कड़ी से क्या लाभ है। महात्मा बुद्ध और महावीर क्या घुमक्कड़ थे। Ghumakkari chapter summary . Ghumakkari chapter questions answers, word meaning, writer of ghumakkari chapter, benifit of ghumakkari. Class 8 hindi. घुमक्कड़ी पाठ में लेखक राहुल सांकृत्यायन लिखते हैं कि मेरी समझ में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वस्तु घुमक्कड़ी है। घुमक्कड़ से बढ़कर व्यक्ति और समाज का कोई हितकारी नहीं हो सकता । दुनिया दुख में हो चाहे सुख में उसे सही समय पर सहारा मिलता है तो घुमक्कड़ के द्वारा । प्राकृतिक आदिम मनुष्य बहुत बड़ा घुमक्कड़ था। खेती बागवानी तथा घर द्वार से मुक्त होकर वह पक्षियों की भांति पृथ्वी पर सदा विचरण करता था जाड़े में यदि यहां है तो गर्मियों में कहीं और दूर। आधुनिक काल में भी घुमक्कडों के काम की बात कहने

बढ़ती मंहगाई से आम जनता त्रस्त है। बढ़ती मंहगाई पर चिंता व्यक्त करते हुए समाचार पत्र के संपादक के नाम पत्र लिखें

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अच्छे मित्र के गुणों का वर्णन करते हुए छोटे भाई को पत्र लिखें  बढ़ती मंहगाई से आम जनता त्रस्त है। बढ़ती मंहगाई पर चिंता व्यक्त करते हुए समाचार पत्र के संपादक के नाम पत्र लिखें  सेवा में, संपादक महोदय,  दैनिक जागरण, धनबाद, झारखण्ड। महाशय, आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से बढ़ती मंहगाई की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। इधर हाल के दिनों में आवश्यक वस्तुओं के दामों में बेतहाशा वृद्धि ने आम जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। पेट्रोल और डीजल के दाम तो बढ़ते ही थे, अब रसोई गैस के दामों में अचानक सौ रुपए की बढ़ोतरी ने गृहणियों के सारे बजट ही बिगाड़ दिए हैं। अब तो गेहूं, चावल, दाल, तेल के साथ-साथ चीनी भी महंगी हो गई है। आलू-प्याज और हरी सब्जियों के दाम भी आसमान छू रहे हैं। समझ में नहीं आता क्या खाएं ? इस मंहगाई रूपी दानव ने सबका हाल बेहाल कर दिया है। पैसों का ऐसा अवमूल्यन पहले कभी नहीं हुआ था। जनता त्राहि-त्राहि कर रही है, लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि इस भयंकर समस्या की ओर किसी अधिकारी, मंत्री का ध्यान आकर्षित नहीं हो रहा   है। अतः श्रीमान संपादक महोदय से सादर निवेदन है कि

गई भैंस पानी में मुहावरे का अर्थ, वाक्य प्रयोग, कहानी, gai bhais pani me muhaware ka arth, sentence, story

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              गंगा नहाना मुहावरे का अर्थ   गई भैंस पानी में मुहावरे का अर्थ, वाक्य प्रयोग, कहानी, gai bhais pani me muhaware ka arth, sentence, story ऊंची दुकान और फीका पकवान मुहावरे गंगा नहाना मुहावरे का अर्थ    Gai bhais Pani me, muhaware ka arth, kam bante bante bigar jana.  Jab koi kam antim charan me ho aur achank kam bigar jaye ise kahte hai gai bhais pani me. गई भैंस पानी में मुहावरे का अर्थ, काम बनते बनते बिगड़ जाना। जब पूरी मेहनत और लगन से कोई किसी काम में ला हो और उसकी सिद्धि का समय आवे, और काम बिगड़ जाए, इसे कहते हैं, गई भैंस पानी में। गई भैंस पानी में मुहावरे का वाक्य में प्रयोग -- 1. राजेश ने चुपके-चुपके मोहन लाल से दुकान की जमीन सस्ते में तय कर ली थी। अगले दिन उसका बड़ा भाई सोहन आ गया। सोहन को देखते ही राजेश समक्ष गया, गई भैंस पानी में। 2. राजा कुछ भी कर लो। तुम्हारी दाल वहां नहीं गलेगी। समझ लो , गई भैंस पानी में। 3. ऐसा न कहो कि गई भैंस पानी में, अब कुछ नहीं हो सकता। मौसी अभी भी मान सकती है। मन छोटा मत करो वीरू। 4. चोरों ने रामनाथन के बंद घर में चोरी करने का सारा प्लान ठ

छायावादी कविता में राष्ट्रीय और सामाजिक चेतना, chhayavaadi kavita me rashtriya aur samajik chetna

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छायावादी कविता में राष्ट्रीय और सामाजिक चेतना, chhayavaadi kavita me rashtriya aur samajik chetna छायावाद क्या है, छायावाद के प्रमुख कवि, प्रसाद, पंत, महादेवी और निराला। छायावाद की प्रवृत्तियां और विशेषताएं, सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना,  छायावाद की अवधि 1920 से 1936 ई तक मानी जाती है। सन् 1936=के बाद से छायावाद की समाप्ति होने लगती है। तब पतन का कारण घोर वैयक्तिकता और अस्पष्टता माना जाता है। फिर भी हिंदी साहित्य और समाज को छायावाद की देन को नकारा नहीं जा सकता है। छायावाद में राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक चेतना मुखर हुई है वह युगों युगों तक अमर रहेगा। महाकवि जयशंकर प्रसाद की कामायनी और निराला जी की तुलसीदास ऐसा ग्रंथ है जो विश्व मानव को एक नया प्रेरणा दायक संदेश देता है। इतना ही नहीं लगभग सभी छायावादी कवियों की कृतियों में राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की भावना मुखर हुई है। इतना ही नहीं, राष्ट्रीयता की यह भावना अपने राष्ट्र तक ही नहीं सीमित रहकर संपूर्ण विश्व में फ़ैल गई है।  प्रसाद, पंत निराला के काव्य में सामाजिक चेतना गहरे रूप में उभरी है। यद्यपि महादेवी वर्मा के काव्य में विरह की अनुभूति का आध

काव्य में रीति सिद्धांत, riti sidhant

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  काव्य में रीति सिद्धांत, riti sidhant रीति सिद्धांत  काव्य में रीति सिद्धांत पर विचार कीजिए। रीति का शाब्दिक अर्थ। काव्य में रीति के प्रकार, काव्य में रीति की अवधारणा स्पष्ट कीजिए। रीति सिद्धांत के प्रतिपादक आचार्य वामन रीति का अर्थ, आचार्य वामन, गुण के प्रकार, रीति की आत्मा क्या है, रूद्रट ने रीति का संबंध किससे माना है। रीति की परिभाषा दीजिए। वामन ने कितने प्रकार के गुण माने हैं। वामन के परवर्ती आचार्य कौन है। रीति काव्य की आत्मा है, समझाइए। रीति शब्द का अर्थ है  --  गति , चाल,  मार्ग, पद्धति या प्रणाली.। रीति सिद्धांत के जनक आचार्य वामन माने जाते हैं। उन्होंने रीति को काव्य की आत्मा घोषित किया है। उन्होंने "विशिष्ट पद रचना रीति " कहकर  यह स्पष्ट किया है कि विशेष प्रकार की शब्द रचना को रीति कहते हैं। शब्द रचना में यह विशेषता गुणों से उत्पन्न होती है । 'विशेषोगुणात्मा ' -- अत: वामन के अनुसार गुण रीति की आत्मा है। रीति के तीन प्रकार हैं   वामन ने दो प्रकार के गुण माने है - शब्द गुण तथा अर्थ गुण। गुणों के आधार पर उन्होंने तीन प्रकार की रीतियों को माना है। वैदर्भी,  ग