संदेश

साना - साना हाथ जोडि --- लेखिका - मधु कांकरिया Sana- Sana hath jodi --- Madhu Kankariya, class 10th

चित्र
साना - साना हाथ जोडि --- लेखिका - मधु कांकरिया Sana- Sana hath jodi --- Madhu Kankariya, class 10th 10वीं कक्षा, हिंदी, साना साना हाथ जोडि -- पाठ का सारांश, साना साना हाथ जोडि -- का क्या अर्थ है ? साना साना हाथ जोडि पाठ की लेखिका मधु कांकरिया का जीवन परिचय, कक्षा दसवीं हिन्दी का प्रश्न उत्तर, questions answers class 10th , Sana Sana hath jodi, summary and questions answers.gangtok , सिक्किम की राजधानी गैंगटोक, मधु कांकरिया का यात्रा वृत्तांत। साना- साना हाथ जोडि पाठ का सारांश summary of Sana sana hath jodi यह पाठ यात्रा वृतांत शैली में रचा गया है।  इस पाठ की लेखिका महानगरों की भाव शून्यता, भागमभाग और यंत्र वत जीवन की ऊब को दूर-दूर की यात्राओं की ओर ले जाती है और उन्हीं यात्राओं के अनुभव को उन्होंने अपनी यात्रा वृतांत में लिपिबद्ध किया है । साना साना जोड़ि में पूर्वोत्तर भारत के सिक्किम राज्य की राजधानी गंगटोक और उसके आगे हिमालय की यात्रा का वर्णन है।  हिमालय की अनंत सौंदर्य का ऐसा अद्भुत और काव्यात्मक वर्णन लेखिका ने किया है जैसे मानो हिमालय का पल-पल परिवर्तित सौंदर्य हम स्वयं अपनी आं

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, भारत के प्रथम राष्ट्रपति, जीवन परिचय, Dr.Rajendra Prasad, first president of India , biography

चित्र
YouTube se Paisa kamaye बिना किसी खर्च के    डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, भारत के प्रथम राष्ट्रपति, जीवन परिचय, Dr.Rajendra Prasad, first president of India , biography परीक्षार्थी परीक्षक से भी अधिक योग्य है, यह कथन यदि किसी भारतीय नेता के प्रशस्ति में कहे गए हैं तो वे हैं डॉ राजेंद्र प्रसाद। इनका जन्म 03 दिसंबर 1884 ई को बिहार राज्य के छपरा जिलांतर्गत जीरादेई नामक स्थान में हुआ था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा उर्दू - फारसी के माध्यम से हुई थी। 1902 ई में इन्होंने इंट्रेंस की परीक्षा में कलकत्ता विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया था। फिर इन्होंने एफ . ए, बी. ए , एम . ए., एम. एल की उपाधियां प्राप्त की। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के मन में राजनीति के बीज विद्यार्थी जीवन से ही अंकुरित हो रहे थे। छात्र जीवन में ही इन्होंने कलकत्ता में छात्रों को संगठित करना प्रारंभ कर दिया था। कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में महात्मा गांधी की नजर इन पर पड़। महात्मा गांधी के अचार विचार से ये काफी प्रभावित हुए। महात्मा गांधी के नेतृत्व में जब चंपारण आंदोलन प्रारंभ हुआ , तो राजेंद्र प्रसाद जी खूब बढ़ चढ़कर हिस्सा लिए

33वां राष्ट्रीय जूड़ो और कुराश प्रतियोगिता 2022, विद्या भारती जूड़ो और कुराश प्रतियोगिता, national judo kuras competition, bhuli Dhanbad

चित्र
  33वां राष्ट्रीय जूड़ो और कुराश प्रतियोगिता 2022, विद्या भारती जूड़ो और कुराश प्रतियोगिता, national judo kuras competition, bhuli Dhanbad विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान दुनिया की सबसे बड़ी गैर सरकारी शिक्षा संस्थान है। इसके विद्यालय सरस्वती विद्या मंदिर के नाम से संचालित होते हैं। दिनांक 8 से 11 अक्टूबर 2022 तक झारखंड प्रदेश के भूली नगर धनबाद में यह प्रतियोगिता आयोजित हुई। उद्घाटन 10 अक्टूबर को यहां के सांसद पशुपति नाथ सिंह जी के द्वारा किया गया। जूड़ो में ओवर आल चैंपियन पश्चिम उत्तर प्रदेश क्षेत्र, द्वितीय राजस्थान क्षेत्र, तृतीय उत्तर क्षेत्र रहा। कुरान में प्रथम मध्य क्षेत्र, द्वितीय पश्चिम क्षेत्र और तृतीय राजस्थान क्षेत्र रहा । इस खेल में जूड़ो के 52 और कुराश के 48 प्रतियोगिता आयोजित हुई। इस प्रतियोगिता में 395 छात्र छात्राओं ने शिरकत की।

( BHULI, Dhanbad Jharkhand E block )अष्टमी महागौरी मां की पूजा भूली, धनबाद में , देवी दुर्गा की आठवीं शक्ति Mahagauri Mata

चित्र
 अष्टमी महागौरी मां की पूजा भूली, ( Bhuli Dhanbad) धनबाद में , देवी दुर्गा की आठवीं शक्ति Mahagauri Mata              भूली नगर धनबाद ई बलौक सेक्टर एक  आज दिनांक 03/10/2022 दिन सोमवार को भूली नगर, धनबाद के पूजा पंडालों में वरदायिनी मां महागौरी की पूजा अर्चना की जा रही है। इस दिन कहीं कहीं कुंवारी कन्याओं को भोजन कराएं जाते हैं, और कहीं कहीं नवमी को भी यह विधान होता है। मां महागौरी की पूजा से कुंवारी कन्याओं को मनवांछित वर मिलता है। और सभी भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेतेम्बरधरा शुचि: महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।। मां दुर्गा जी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है । नवरात्र के आठवें दिन इनकी पूजा का विधान है।  इनका वर्ण पूर्णतः गौर है । इस गौरता की उपमा शंख, चक्र और कुंद के फूल से की गई है। इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि श्वेत हैं।  अपने पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी जिसके कारण शरीर एकदम काला पड़ गया था। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से धोया, तभी से  विद्युत प्र

मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि माता maa kalratri की पूजा भूली नगर धनबाद

चित्र
  मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि माता Kalratri mata की पूजा भूली नगर धनबाद में मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है लेकिन यह सदा शुभ फल ही देने वाली मां है। इसी कारण इनका एक नाम शुभंकरी भी है। दुर्गा पूजा के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा और आराधना पूरे मनोयोग से की जाती है  । जो इनकी पूजा तन मन से करता है वह पुण्य का भागी बन जाता है ।  मां कालरात्रि दुष्टों का नाश करती है । दानव , दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही  भाग जाते हैं । मां सारे ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली है । नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना की जाती है। इस दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में होता है । मां के इस स्वरूप को अपने हृदय में बसाकर साधक को एक निष्ठा भाव से उनकी आराधना करनी चाहिए। यह सभी राशियों के लिए शुभ है लेकिन सिंह और मीन राशि के लिए अति उत्तम है। आज का शुभ रंग कृष्ण है। मां कालरात्रि का रंग बाघाम्बरी है। साधना के समय नीला वस्त्र धारण करें। आज के दिन का महत्व कालरात्रि माता का स्वरूप देखने में जितना

BHULI, Dhanbad, Jharkhand,C- block, Puja Pandal

चित्र
BHULI, Dhanbad, Jharkhand,C- block, Puja Pandal 2022          लेखक- डॉ उमेश कुमार सिंह, भूली नगर, धनबाद                  C block Bhuli, Dhanbad puja pandal कोयलांचल की श्रमिक नगर भूली एशिया महाद्वीप में सबसे बड़ा श्रमिक कालोनी है। यहां के पूजा पंडाल बहुत नामी है। दुर्गा पूजा के महीने दो महीने पहले से ही पंडाल का निर्माण शुरू हो जाता है। कारीगर बंगाल से आते हैं। पंडालों की भव्यता खूब देखते बनती है। यहां के नागरिक खूब बढ़ चढ़कर चंदा देते हैं। समय मिले तो यहां जरूर आइए।            BHULI, E block, sector  - 5 puja pandal बजरंग बाण पढ़ें   भूली नगर, धनबाद ई बलौक सेक्टर 5 का यह पूजा पंडाल भी बड़ा भव्य बना है। यहां  हीरक रोड से आकर झारखण्ड मोड़ से भूली नगर में प्रवेश किया जाता है। सेक्टर, एक, बी ब्लॉक, ए ब्लॉक ,डी ब्लॉक के पूजा पंडाल भूली नगर धनबाद के प्रसिद्ध पंडाल हैं जहां दर्शकों की भीड़ लगी रहती है। क्लिक कीजिए और देखें कालरात्रि माता की पूजा भूली धनबाद में

बजरंग बाण, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित, Bajrang Baan, bajrang ban ki mahima,

चित्र
चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य     बजरंग बाण, Bajrang Baan गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित  संकटमोचन हनुमान की स्तुति, शनि ग्रह निवारण का मंत्र, बजरंग बाण के पाठ से सभी संकट दूर होते हैं। Sankatmochan Hanuman prayer, बजरंग बाण के चमत्कार, Bajrang baan in hindi, Bajrang baan lyrics, जय बजरंग बली  दोहा - निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।  तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।                      चौपाई  -   जय हनुमंत संत हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।  जन के काज विलम्ब न कीजे। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।  जैसे कूदि सिंधु महि पारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।।  आगे जाइ लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।  जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखी परम पद लीन्हा।।  बाग उजारि सिंधु महं बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।  अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।  लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुर पुर मंह भई।। अब विलम्ब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतर्यामी।।  जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।।  जय गिरिधर जय जय सुख सागर। सुख - समूह समरथ भटनागर।।  ऊं हनु - हनु-

चंद्रगुप्त द्वितीय , चंद्रगुप्त विक्रमादित्य, गुप्त साम्राज्य, शासन, सैनिक अभियान, चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन व्यवस्था, धर्म, सिक्के, Chandragupta dwitiya,

चित्र
   चंद्रगुप्त द्वितीय , चंद्रगुप्त विक्रमादित्य, गुप्त साम्राज्य, शासन, सैनिक अभियान, चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन व्यवस्था, धर्म, सिक्के, Chandragupta dwitiya, चंद्रगुप्त द्वितीय का जीवन परिचय, चंद्रगुप्त द्वितीय का जन्म कब हुआ, चंद्रगुप्त द्वितीय के पिता कौन थे, चंद्रगुप्त द्वितीय की राजधानी कहां थी , चंद्रगुप्त द्वितीय का शासन काल, चंद्रगुप्त द्वितीय के सिक्के, चंद्रगुप्त द्वितीय की पत्नी का क्या नाम था, चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री कौन थी, चंद्रगुप्त द्वितीय की उपाधि, चंद्रगुप्त द्वितीय के नौ रत्नों के नाम बताएं, चंद्रगुप्त द्वितीय ने कौन सा संवत् चलाया, चंद्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि कब धारण की ? चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबारी कवि कौन थे ? चंद्रगुप्त द्वितीय भारतीय इतिहास में क्यों अमर है ?   भारत के इतिहास में गुप्त काल को स्वर्ण काल माना जाता है। इस काल खंड में शासन व्यवस्था, कला, सभ्यता संस्कृति, साहित्य आदि का भरपूर विकास हुआ। समुद्रगुप्त का पुत्र चंद्रगुप्त द्वितीय बड़ा प्रतापी राजा हुए। इनकी राजधानी उज्जयिनी थी। चंद्रगुप्त द्वितीय का शासन काल 375 से 414 ई माना जाता

तानसेन और राग दीपक की कहानी, अकबर दरबार के नवरत्नों में एक महत्वपूर्ण रत्न तानसेन, तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास जी, तानसेन की मौत कैसे हुई, राग दीपक की ज्वाला से तानसेन को किसने बचाया। Tansen aur rag Deepak,

चित्र
    तानसेन और राग दीपक की कहानी, अकबर दरबार के नवरत्नों में एक महत्वपूर्ण रत्न तानसेन, तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास जी, तानसेन की मौत कैसे हुई, राग दीपक की ज्वाला से तानसेन को किसने बचाया।  Tansen ke Guru Kaun the, Tansen ke Guru Swami haridas the. Tansen ke bachpan ka nam, Tansen kish Raja ke darbari the.tansen ka asali nam kya tha.  Tansen aur rag Deepak,  तानसेन का नाम कौन नहीं जानता ? तानसेन अकबर के दरबार के  नवरत्नों में एक महान रत्न थे। तानसेन स्वामी हरिदास के शिष्य थे। कहते हैं , तानसेन पांच साल की अवस्था तक गूंगे थे, स्वामी हरिदास जी ने उन्हें गीत संगीत की शिक्षा दी। संगीत की दुनिया में तानसेन ने इतना नाम कमाया कि महान मुगल बादशाह अकबर ने उन्हें अपने दरबार में महत्वपूर्ण रत्न बना दिया। बादशाह अकबर उन्हें बहुत मानते थे। इस बात से अन्य दरबारी तानसेन से जलने लगे। उन्होंने कुछ ऐसा षड्यंत्र रचा कि तानसेन खुद राग दीपक गाकर जल मरे। लेकिन तानसेन ने बुद्धि से इस षड्यंत्र को विफल कर तो दिया, परन्तु ---! पूरी कहानी आगे पढ़े। तानसेन बादशाह अकबर के बहुत प्रिय दरबारी बन गये थे। इनका असली नाम

Shershah Suri , शेरशाह सूरी, जीवनी, संघर्ष,शासन व्यवस्था

चित्र
   शेरशाह सूरी (1540 - 1545 ) जीवनी, शासन व्यवस्था, युद्ध, जीवन संघर्ष,  शेरशाह का जन्म, शेरशाह के बचपन का नाम, शेरशाह के माता-पिता, फरीद खां का नाम शेर खां क्यों पड़ा। शेरशाह का विवाह, शेरशाह का शासन काल, शेरशाह की मृत्यु, शेरशाह सूरी द्वारा किए गए कार्य। ग्रैंड टैंक रोड । Shershah Suri, shershah Suri biography, shershah Suri ke bachpan ka nam kya tha, shershah Suri ki mirtyu, shershah aur humayun, g.t.road शेरशाह सूरी का असली नाम, जन्म दिन, जन्म स्थान शेरशाह सूरी का जन्म 1472 ई में बजवाड़ा ( होशियारपुर ) में हुआ था। इनका प्रारम्भिक नाम फरीद खां था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इनका जन्म हिसार फिरोजा में 1486 में हुआ था। फरीद के पिता हसन खां जौनपुर के छोटे जमींदार थे। सौतेली मां और पिता से फरीद को सच्चा प्यार नहीं मिल पाया था। बड़ा होने पर फरीद खां को अपने पिता से सासाराम, खवासपुर का जागीर मिला था, कालान्तर में इन जागीरों के लिए फरीद खां और उसके सौतेले भाई सुलेमान के बीच विवाद होता रहता था। फरीद का नाम शेर खां कैसे पड़ा फरीद खां अपने अधिकारों की रक्षा और शक्ति विस्तार के लिए बिहार क

वर्णों का उच्चारण स्थान, varno ka uchchatan athan, अक्षर , hindi grammar

चित्र
   वर्णों का उच्चारण स्थान, varno ka uchchatan athan, अक्षर , hindi grammar मानव मुख से ध्वनियां मुख के विभिन्न भागों से उच्चरित और अनुशासित होती हैं। विभिन्न वर्णों के उच्चारण स्थान अलग अलग होते हैं। यहां वर्णों के उच्चारण स्थान की जानकारी प्राप्त करें। कंठ -- अ आ क ख ग घ ङ ह और विसर्ग। तालु -- इ ई च छ ज झ ञ य और श। मूर्धा -- ऋ ट ठ ड ढ ण र और ष। दंत -- त थ द ध न ल और स। ओठ -- उ ऊ प फ ब भ म। कंठ - तालु -- ए ऐ। कंठ - ओष्ठ -- ओ औ। दंतोष्ठय -- व। अक्षर किसे कहते हैं ? वर्णों की वह लघुतम इकाई जिसका उच्चारण सांस के एक झटके से हो जाए उसे अक्षर कहते हैं। जैसे - आ, जी, जा, ले, मां, उठ आदि। सभी स्वर वर्णों को अक्षर कहते हैं क्योंकि उनका उच्चारण सांस के एक झटके में ही हो जाता है। लेकिन व्यंजन वर्णों के साथ जब तक कोई स्वर नहीं लगता है तब तक वह अक्षर नहीं बनता है। जैसे - खा, क्या। हिन्दी में एकाक्षरी से लेकर अनेकाक्षरी तक शब्द रचना संभव है, ‌जैसे -- एकाक्षरी -- खा, आ, ओ, जा, गा, हां। दो अक्षरी शब्द -- आओ, कवि, खाया, शाखा, पूजा। तीन अक्षरी शब्द -- आइए, जाइए, कविता, बेचारा, पाइए। चार अक्षरी शब्द --

संगम, बलाघात, अनुतान Sangam, Balaghat,Anutan, hindi grammar

   संगम, बलाघात, अनुतान Sangam, Balaghat,Anutan, hindi grammar संगम  -- किसी शब्द के उच्चारण करते समय दो ध्वनियों के बीच किए जाने वाले हल्के विराम को संगम कहते हैं। दो भिन्न स्थान पर विराम  ( संगम) से भिन्न अर्थ सामने आते हैं। जैसे - सिरका - एक प्रकार का तरल पदार्थ। सिर + का -- सिर से संबंधित। कम बल -- कम बल वाला । कंबल -- जाड़े में ओढ़ने वाला। मनका -- माला का मोती। मन + का -- मन से संबंधित। बलाघात  -- ( स्वराघात ) -- शब्दों के उच्चारण करते समय अक्षर विशेष पर जो विशेष बल पड़ता है उसे बलाघात कहते हैं। इसी प्रकार कभी कभी एक वाक्य के शब्द विशेष पर भी बल पड़ता है ‌। यही प्रक्रिया बलाघात है। अक्षर के स्वर पर बल पड़ने के कारण इसे स्वराघात कहते हैं। बलाघात दो प्रकार से होता है -- 1. शब्द बलाघात 2. वाक्य बलाघात 1. शब्द बलाघात  -- शब्द बलाघात से अर्थ में परिवर्तन नहीं होता है। इस प्रकार के बलाघात में शब्द के किसी एक अक्षर पर विशेष बल पड़ता है। जैसे इंद्र शब्द में संयुक्त अक्षर से पहले वाले अक्षर ई पर जोर दिया गया है। इसी प्रकार कमल शब्द के उच्चारण में म पर अधिक बल पड़ता है । धोबी का कुत्ता न घर