युगावतार गांधी कविता, कवि सोहनलाल द्विवेदी, गांधी जी की महानता, महात्मा का व्यक्तित्व, Mahatma Gandhi, Yugwatar Gandhi ,poem, 8th class poem
युगावतार गांधी कविता, कवि सोहनलाल द्विवेदी, गांधी जी की महानता, महात्मा का व्यक्तित्व, Mahatma Gandhi, Yugwatar Gandhi ,poem, 8th class poem questions answers Yugwatar Gandhi " युगावतार गांधी " कविता सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता है। अब कविता में कवि सोहनलाल द्विवेदी ने महात्मा गांधी को साहसी और निडर महापुरुष के रूप में चित्रित किया है। महात्मा गांधी जिधर चल पड़ते थे उधर सारे भारत वासी चल पड़ते थे। उनके व्यक्तित्व का अजीब प्रभाव देशवासियों पर था। इसलिए उनके नेतृत्व में देश आजाद हुआ। यहां युगावतार गांधी कविता , और प्रश्न उत्तर दिया गया है। जो आठवीं कक्षा में पढ़ाई जाती है। चल पड़े जिधर दो डग मग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर। पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि, गड़ गए कोटि दृग उसी ओर।। जिसके शिर पर निज धरा हाथ, उसके शिर - रक्षक कोटि हाथ। जिस पर निज मस्तक झुका दिया, झुक गये उसी पर कोटि माथ। तुम बोल उठे , युग बोल उठा, तुम मौन बने युग मौन बना। कुछ कर्म तुम्हारे संचित कर, युग कर्म जगा, युग धर्म तना।। धर्माडंबर के खंडहर पर, कर पद - प्रहार का धरा ध्वस्त मानवता का पावन मंदिर, निर्माण कर रह