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Lakshaman murchha aur Ram vilap, लक्ष्मण मूर्छा और राम विलाप, लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने की कहानी और राम का रोना, हनुमानजी द्वारा संजीवनी बूटी लाना ,राम चरित मानस

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              राम विलाप   Lakshaman murchha aur Ram vilap, लक्ष्मण मूर्छा और राम विलाप, लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने की कहानी और राम का रोना, हनुमानजी द्वारा संजीवनी बूटी लाना ,राम चरित मानस , लक्ष्मण मूर्छा और राम विलाप पाठ का सारांश,  रामचरितमानस में लक्ष्मण मूर्छा और राम विलाप, लक्ष्मण को मूर्छा कैसे लगी। लक्ष्मण के मूर्छित होने पर राम क्या सोचने लगे। लक्ष्मण के मूर्छित होने पर सामान्य मनुष्य की तरह कौन विलाप करने लगे । लक्ष्मण कहां मूर्छित हुए ?  राम को लक्ष्मण के बिना अयोध्या लौटने पर क्या सहना पड़ेगा?  लक्ष्मण मूर्छा और राम विलाप पाठ का प्रश्न उत्तर । लक्ष्मण मूर्छा पाठ के आधार पर तुलसीदास अपने किस रूप पर गर्व करते हैं ? राम किस की तुलना में अपने भाई को अधिक महत्व देते हैं? तुलसीदास की नारी दृष्टि पर प्रकाश डालिए। लक्ष्मण शक्ति और राम का विलाप। Ramcharitmanas mein Lakshman morcha aur Ram vilap. Lakshman ko morcha kaise lagi. meghnath kaun tha. Lakshman ke moorchit hone per Ram kya sochne Lage. Lakshman ki moorchit hone per samanya manushya ki tarah Kaun Rone Lage. Lakshman kahan mur

अपनी शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने के लिए परीक्षा में बैठने हेतु आवेदन पत्र लिखें।

 अपनी शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने के लिए परीक्षा में बैठने हेतु आवेदन पत्र लिखें। मान लीजिए ,आप उत्तर प्रदेश सरकार में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। आप अपनी पदोन्नति के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यता बढ़ाने को उत्सुक हैं। ऐसी स्थिति में आपको अपने शिक्षा पदाधिकारी के पास एक आवेदन पत्र लिखकर उनसे अनुमति लेनी होगी। इसके लिए आवेदन पत्र कैसे लिखा जाता है । इसी के बारे में जानकारी प्राप्त करें। साथ में इस नमूने को भी देखें। सेवा में, जिला शिक्षा अधिकारी महोदय,  लखनऊ, उत्तर प्रदेश। विषय -- परीक्षा में बैठने हेतु अनुमति पत्र के लिए आवेदन पत्र। महाशय, निवेदन है कि मैं प्राथमिक विद्यालय, सुभाष नगर, लखनऊ में शिक्षक का दायित्व निर्वहन कर रहा हूं। मेरी वर्तमान शैक्षणिक योग्यता बी. ए. है। मैं अपनी शैक्षणिक योग्यता का विस्तार करना चाहता हूं। इस निमित्त मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एम.ए. की परीक्षा में सम्मिलित होना चाहता हूं।  अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि मुझे उक्त परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान करने की कृपा करें।  भवदीय राजेश जोशी प्राथमिक विद्यालय, सुभाष नगर, लखनऊ। दिनांक - इसे भी पढ़े

अपने क्षेत्र में पेयजल की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखें। अथवा कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखकर पेय जल आपूर्ति में कमी की ओर ध्यान आकर्षित कीजिए

 अपने क्षेत्र में पेयजल की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखें।   अथवा,  कार्यकारी अभियंता को पत्र लिखकर पेय जल आपूर्ति में कमी की ओर ध्यान आकर्षित कीजिए। प्रे षक: रामलाल 52/ 2 सुभाष नगर, अहमदाबाद। दिनांक - 12.6.2022 सेवा में, कार्यकारी अभियंता जल विभाग अहमदाबाद। महोदय मैं सुभाष नगर का निवासी हूं। मैं आपका ध्यान सुभाष नगर में लगातार पेयजल की आपूर्ति में होने वाले कमी की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। पिछले कई महीनों से दिन भर में एकाध घंटे के लिए जल आता है,जो - जो लोग दूसरी - तीसरी मंजिल पर रहते हैं, उन तक  तो एक बूंद भी पानी नहीं मिल रहा है। अब गर्मियां आने वाली है,  परेशानी और बढ़ सकती हैं। अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि जल आपूर्ति को नियमित और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने की कृपा करें। सधन्यवाद। भवदीय रामलाल अपने नगर के विद्युत अभियंता को बिजली कटौती के कारण पढ़ाई में आने वाली कठिनाईयों की चर्चा करते हुए, इसमें सुधार के लिए पत्र लिखिए। प्रेषक: कार्तिक कृष्ण 25, माडल टाउन, चंडीगढ़। दिनांक - 14.3.23 सेवा में, विद्युत अभियंता महोदय, चंडीगढ़, पंजाब। मह

अनुप्रास अलंकार, अनुप्रास अलंकार ( anupras alankar) किसे कहते हैं?

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          अनुप्रास अलंकार     Anupras alankar   अनुप्रास अलंकार, अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं? अनुप्रास अलंकार के उदाहरण हिन्दी में, अनुप्रास अलंकार के भेद उदाहरण सहित, अनुप्रास अलंकार के दस उदाहरण , अनुप्रास अलंकार की पहचान कैसे करें ? अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और दो उदाहरण anupras alankar , example of anupras alankar in hindi अलंकार का अर्थ है आभूषण या श्रृंगार। काव्य के  आभूषण अर्थात सौंदर्य वर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं । अलंकार स्वयं सौंदर्य नहीं होते वे काव्य के सौंदर्य को बढ़ाने वाले सहायक तत्व है । अलंकारों के सहयोग से काव्य आकर्षक और मनोहारी बन जाते हैं। यहां हम अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और उसके कुछ उदाहरण पर चर्चा करेंगे हम यह बताएंगे कि अनुप्रास अलंकार की पहचान कैसे होती है और उसके कौन कौन भेद हैं ? उसके उदाहरण भी पढ़ें। Anupras alankar kise kahte hai अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और पहचान  जहां जहां व्यंजनों की आवृत्ति के कारण काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है, वहां वहां अनुप्रास अलंकार होता है।  कहने का तात्पर्य यह है कि किसी वाक्य में जब दो या उससे अधिक शब्द एक ही वर्ण से श

बोर्ड परीक्षा की तैयारी हेतु कुछ जरूरी बातें, 2023 बोर्ड परीक्षा की तैयारी के टिप्स, how we prepare board exam , दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करें , हिंदी में जानकारी

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  बोर्ड परीक्षा की तैयारी हेतु कुछ जरूरी बातें, 2023 बोर्ड परीक्षा की तैयारी के टिप्स, how we prepare board exam , दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी कैसे करें , हिंदी में जानकारी। प्रत्येक वर्ष फरवरी और मार्च का महीना छात्र - छात्राओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी महीने में अक्सर दसवीं और बारहवीं के बोर्ड एग्जाम होते हैं। चाहे विद्यार्थी किसी भी स्तर का हो , परीक्षा के नाम से उसकी धड़कनें तेज हो ही जाती है। और यदि पूरी मुक्कमल तैयारी नहीं हुई है तो परेशान होना जरूरी हो जाता है क्योंकि जीवन में चाहे कितनी भी परीक्षा हो जाती है लेकिन दसवीं और बारहवीं बोर्ड की परीक्षा जीवन भर नहीं भूली जाती। दसवीं और बारहवीं की परीक्षा आगे के जीवन की दिशा जो तय करती है। इसलिए परीक्षा की तैयारी ठीक से हो, इसके लिए कुछ जरूरी बातें जानना आवश्यक है। इस आलेख में 2023 बोर्ड की परीक्षा की अच्छी तैयारी के लिए कुछ जरूरी टिप्स दिए गए हैं जिनका अनुशरण करके अधिक नम्बर से परीक्षा उत्तीर्ण किया जा सकता है। How we take more marks in board exam, बोर्ड एग्जाम में अधिक अंक कैसे लाएं  Board exam की तैयार

अपने नगर में चोरी - डकैती की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस गश्त बढ़ाने के लिए थाना प्रभारी को आवेदन पत्र लिखें

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  अपने नगर में  चोरी - डकैती की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस गश्त बढ़ाने के लिए थाना प्रभारी को आवेदन पत्र लिखें  सेवा में, थाना प्रभारी महोदय,  सदर थाना, मधुबनी। विषय -- नगर में चोरी डकैती की घटनाओं की रोकथाम हेतु पुलिस गश्त बढ़ाने के लिए अनुरोध पत्र। महाशय, निवेदन है कि अपने नगर में पिछले कुछ दिनों से चोरी - डकैती की घटनाओं में बहुत वृद्धि हो गई है। घर छोड़कर एक रात भी कहीं बाहर जाना खतरनाक होता है। घर छोड़े कि चोरी हुई। इधर कुछ हफ्तों से पुलिस गश्ती में भी कभी देखी जा रही है जिससे चोरों का मनोबल बढ़ जा रहा है। अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि अपने नगर क्षेत्र में पुलिस गश्त बढ़ा दी जाए तो नगर वासियों के जान माल की सुरक्षा हो जाएगी। इस कार्य के लिए हम सब आपके आभारी रहेंगे।        सधन्यवाद। भवदीय श्रीसुब्रमन्यम एवं नगर वासी सदर थाना मधुबनी  डाक वितरण की अनियमितता का उल्लेख करते हुए डाकपाल को पत्र लिखिए अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन बैंक अकाउंट बंद कराने के लिए मैनेजर के नाम आवेदन पत्र लिखें application for close bank account हिन्दी में सेवा में,  शाखा प्रबंधक, यूको बैंक, भूली, रोहत

लोमड़ी और सारस की शिक्षा प्रद कहानी, जैसे कौ तैसा करो, जैसे सारस ने किया Lomdi and saras story,jaise ko taisa

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  लोमड़ी और सारस की शिक्षा प्रद कहानी, जैसे कौ तैसा करो, जैसे सारस ने किया Lomdi and saras story,jaise ko taisa लोमड़ी और सारस की कहानी Saras ne Lomdi ko kaise maja chakhaya Lomari aur saras ki kahani  किसी जंगल में एक बहुत सुन्दर सरोवर था। उस सरोवर में तरह तरह के जीव जंतु रहते थे। सरोवर मछलियों से भरा पड़ा था। उन मछलियों को खाने के लिए बहुत से बगुले और सारस वहां प्रतिदिन आते और भरपेट मछलियां खाते। वहीं एक चालाक लोमड़ी भी अपने परिवार के साथ रहती थी। उसने सारस और बगूलो को मछलियां खाते देखती तो उसका भी मुंह पानी से भर जाता।  वह लोमड़ी एक दिन सारस के पास आकर उससे मित्रता कर ली और इधर उधर की बातें करने के बाद अपने घर चली गई।  कुछ ही दिनों में सारस से उसकी गहरी दोस्ती हो गई। सारस मछलियां पकड़कर उसे खाने को देता। परंतु लोमड़ी तो थी बड़ी धूर्त और बदमाश। उसने सारस को एक दिन अपने घर बुलाया। उसने बड़  बड़े परात में सुगंधित और स्वादिष्ट सूप बनाकर सारस को खाने को दिये। अब भला लंबे चोंच वाले सारस परात से सूप कैसे खा सकता था। और इधर लोमड़ी चट पट सारे जूस अपनी जीभ से चाट कर गयी। सारस भूखे रह गया और अ

युगावतार गांधी कविता, कवि सोहनलाल द्विवेदी, गांधी जी की महानता, महात्मा का व्यक्तित्व, Mahatma Gandhi, Yugwatar Gandhi ,poem, 8th class poem

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युगावतार गांधी कविता, कवि सोहनलाल द्विवेदी, गांधी जी की महानता, महात्मा का व्यक्तित्व, Mahatma Gandhi, Yugwatar Gandhi ,poem, 8th class poem questions answers Yugwatar Gandhi  " युगावतार गांधी " कविता सोहनलाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता है। अब कविता में कवि सोहनलाल द्विवेदी ने महात्मा गांधी को साहसी और निडर महापुरुष के रूप में चित्रित किया है। महात्मा गांधी जिधर चल पड़ते थे उधर सारे भारत वासी चल पड़ते थे। उनके व्यक्तित्व का अजीब प्रभाव देशवासियों पर था। इसलिए उनके नेतृत्व में देश आजाद हुआ। यहां युगावतार गांधी कविता , और प्रश्न उत्तर दिया गया है। जो आठवीं कक्षा में पढ़ाई जाती है। चल पड़े जिधर दो डग मग में,  चल पड़े कोटि पग उसी ओर। पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि, गड़ गए कोटि दृग उसी ओर।। जिसके शिर पर निज धरा हाथ, उसके शिर - रक्षक कोटि हाथ। जिस पर निज मस्तक झुका दिया, झुक गये उसी पर कोटि माथ। तुम बोल उठे , युग बोल उठा, तुम मौन बने युग मौन बना। कुछ कर्म तुम्हारे संचित कर, युग कर्म जगा, युग धर्म तना।। धर्माडंबर के खंडहर पर, कर पद - प्रहार का धरा ध्वस्त मानवता का पावन मंदिर, निर्माण कर रह

नाटक लिखने का व्याकरण, नाटक की परिभाषा, नाटक शब्द की उत्पत्ति, नाटक कैसे लिखें,Natak kaise likhen,Natak shabad

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  नाटक लिखने का व्याकरण, नाटक की परिभाषा, नाटक शब्द की उत्पत्ति, नाटक कैसे लिखें,Natak kaise likhen,Natak shabad ki utpati, Natak kise kahte hai हिंदी नाटक  इस पाठ का अनुक्रमांक नाटक लिखने का व्याकरण नाटक की परिभाषा नाटक शब्द की उत्पत्ति हिन्दी नाटक उद्भव और विकास  नाटक कैसे लिखें नाटक और अन्य विधाएं नाटक में समय का बंधन नाटक के तत्व नाटक के विषय नाटक में स्वीकार और अस्वीकार की अवधारणा नाटक की शिल्प संरचना नाटक की भाषा कैसी हो? नाटक लिखने में कितना समय लग सकता है ? नाटक में कितने अंक होते हैं ? नाटक के पांच प्रकार नाटक के संवाद कैसे हो ? एक अंक के नाटक को क्या कहते हैं ? नाटक का प्रारंभ कब से माना जाता है ? Hindi natak, hindi natak udbhaw aur vikas  नाटक शब्द ' नट ' शब्द से बना है। यह साहित्य की एक सशक्त विधा है परन्तु यह साहित्य की अन्य विधाओं जैसे कहानी, कविता आदि से थोड़ा भिन्न है। यहां नाटक लिखने का व्याकरण, नाटक लिखने का प्रारूप, नाटकों की भाषा, संवाद, तथा नाटक लिखने के विषय आदि पर विस्तार से चर्चा की गई है। नाटक लिखने का व्याकरण  मराठी नाटककार विजय तेंदुलकर लिखते हैं , &q

जल में कुंभ कुंभ में जल है, कबीर के विचार, आत्मा परमात्मा के प्रति, jal me kumbh hai

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  जल में कुंभ कुंभ में जल है, बाहर भीतर पानी।  फूटे कुंभ जल जलहि समाना यह तथ्य कथ्यो ज्ञानी।। जल - पानी। कुंभ - घड़ा। समाना - समाहित होना। तथ्य - गूढ़ बात। कथ्यो - कहते हैं। ज्ञानी - विद्वान। कबीर दास जी एकेश्वरवादी कवि हैं। वे कहते हैं - जिस प्रकार कोई  मिट्टी का घड़ा नदी के सतह पर तैर रहा हो, और उसके अंदर जल हो। और नदी में भी जल है जिस पर पानी से भरा घड़ा तैर रहा है। दोनों ओर जल है। तो यहां दोनों तरफ के जल को मिलने से, एक होने से कौन रोक रहा है। वही मिट्टी की पतली दीवार। ज्योंहि यह पतली दीवार टूट जाती है, दोनों जल मिलकर एक हो जाते हैं।  मित्रों ! इस प्रकार  शरीर और आत्मा के साथ भी यही होता है। जब तक शरीर रूपी घट में आत्मा कैद है, तब तक वह विभिन्न नामों से जाना पहचाना जाता है । लेकिन जैसे ही आत्मा इस शरीर रूपी घट से निकल जाता है, वह परमात्मा में विलीन हो जाता है। फिर उसकी अलग पहचान नहीं रह जाती। आत्मा परमात्मा में पूर्णतया विलीन हो जाता है। तुलसी के राम   पढ़ने के लिए क्लिक करें  अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन

हेरत हेरत हे सखि रहा कबीर हेराय, Herat Herat he sakhi Raha Kabir

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  हेरत हेरत से सखि रहा कबीर हेराय। बूंद समानि समुद में, सो कत हेरी जाय ।। मित्रों ! इस दोहे के अर्थ और भाव को समझने से पहले हम इस दोहे में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ को अच्छी तरह समझ लें। हेरत - खोज, खोजना। ढूंढना। सखि -- सहेली, यहां जीवात्मा से आशय है। कबीर -- कवि कबीर दास। हेराय -- खो जाना, गुम हो जाना। बूंद -- पानी की बूंद, यहां जीवात्मा। समुद -- सागर, समुद्र, यहां प्रमात्मा। ईश्वर। सो --- कैसे। हेरी -- खोजना। जाय -- काम होना। दोहे की व्याख्या संत कवि कबीर दास जी कहते हैं , हे संतों !  मैं ईश्वर को ढूंढ रहा था।  ईश्वर को ढूंढने में मैं ऐसा लीन हो गया, ऐसा तल्लीन हो गया कि मैं उसी परमात्मा में विलीन हो गया। अब मेरा अपना कोई अस्तित्व ही नहीं बचा है। अब मैं उस परम सत्ता से स्वयं को पृथक नहीं कर सकता हूं। जैसे पानी का बूंद समुद्र में जब एक बार मिल जाए तो उसे अलग नहीं किया जा सकता है। उसी प्रकार मुझे भी अब परम ब्रह्म से अलग नहीं किया जा सकता है। महाकवि कबीर दास का आशय है कि ,    आत्मा  जब परमात्मा में पूरी तरह लीन हो जाता है तब वह परमात्मा में विलीन हो जाता है और तब यही स्थिति मोक्ष कहलाती

कुछ काम करो, कविता,kuchh Kam kro poem, नर हो , न निराश करो मन को, मैथिली शरण गुप्त

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कुछ काम करो, कविता,नर हो न निराश करो मन को  kuchh Kam kro, kuchh Kam kro poem,  कुछ काम करो कविता, कुछ काम करो कविता का भावार्थ, कुछ काम करो कविता का शब्दार्थ, कुछ काम करो कविता के कवि कौन है ? कुछ काम करो कुछ काम करो का भाव क्या है ? जग में रहकर नाम कैसे किया जाता है ? राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रसिद्ध कविता कुछ काम करो kuchh Kam kro poem ka bhawarth, kuchh Kam kro poem, kuchh Kam kro , kuchh Kam kro प्रिय पाठकों ! मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा रचित" कुछ काम करो "कविता बहुत पुरानी कविता है। हमारे शिक्षक , माता पिता इसे सुनाकर हमारे मन को उत्साहित करते थे। और आज भी यह कविता पढ़कर हमारा मन उत्साह से भर उठता है। यहां वही कविता' कुछ काम करो 'की पंक्तियां, भावार्थ और प्रश्न उत्तर के साथ आपके स्मृति को तरोताजा करने के लिए दिया गया है। नर हो न निराश करो  मन को। कुछ काम करो कुछ काम करो। जग में रहकर कुछ नाम करो। यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो। कुछ तो उपयुक्त करो तन को नर हो न निराश करो मन को। कुछ काम करो कुछ काम करो जग में रहकर कुछ नाम करो।। संभालो कि सु