आए महंत बसंत, कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कविता आए महंत बसंत का भावार्थ, प्रश्न उत्तर Aye mahant basant
आए महंत बसंत, कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कविता आए महंत बसंत का भावार्थ, प्रश्न उत्तर Aye mahant basant आए महंत बसंत कविता और भावार्थ, प्रश्न उत्तर प्रिय पाठकों! आए महंत बसंत नामक कविता कविवर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की बहुत प्रसिद्ध कविता है। इस कविता में रूपक अलंकार का सुन्दर प्रस्तुति है। यहां ऋतुराज बसंत को एक महंत के रूप में चित्रित किया गया है । आए महंत बसंत में कौन सा अलंकार है ? आए महंत बसंत में रूपक अलंकार है। मखमल के झूल पड़े हाथी सा टीला में कौन अलंकार है ! मखमल के झूल पड़े हाथी सा टीला में उपमा अलंकार है। हिमालय कवित ा "आए महंत बसंत" का भावार्थ "आए महंत बसंत" यह एक बहुत ही सुंदर और प्रसिद्ध दोहा है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है कि 'महंत के रूप में बसंत आया है'। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना इस कविता के रचयिता हैं। * महंत: आमतौर पर किसी धार्मिक संप्रदाय का प्रमुख होता है। * बसंत: वर्ष का एक ऋतु है जो प्रकृति के नवजीवन और सुंदरता का प्रतीक है। भावार्थ: इस दोहे के माध्यम से कवि ने बसंत ऋतु के आगमन को एक महान व्यक्ति के आगमन से ...