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शेष गणेश महेश दिनेश, रसखान के सवैया

  शेष गणेश महेश दिनेश  शेष गणेश, महेश दिनेश,  सुरेसहु जाहि निरंतर गावैं।।  जाहि अनादि अनंत अखंड  अछेद अभेद सूबेद बतवैं। नारद से सुक व्यास रहैं  पचि हारे तऊ पुनि पार ना पावैं ।  ताहि अहीर की छोहरियां  छछिया भरि छाछ पर नाच नचावे। भावार्थ रसखान कवि कहते हैं, जिसके गुणों का वर्णन शेषनाग, शिवशंकर जी गणेश जी, सूर्य भगवान नहीं कर सके। जिन्हें वेद पुराण अनादि, अनंत, अखंड अछेद और अभेद कहते हैं। नारद और शुकदेव जी जैसे गुणी व्यास जिनका वर्णन नहीं कर सकते। वह श्री हरि विष्णु श्रीकृष्ण को गोकुल में ग्वाले के लड़कियां थोड़ी सी छाछ और मक्खन की लालच देकर नाच नचाती हैं। Posted by Dr Umesh Kumar Singh, Bhuli Nagar Dhanbad Jharkhand, India ************************************"********** मीराबाई के पद" कविता प्रतिरक्षा शक्ति निबंध बसंत   ऋतु निबंध घर की याद कविता भवानी प्रसाद मिश्रा    क्लिक करें और पढ़ें। Science  : Pros & Cons- Essay कृष्णा सोबती द्वारा मिया नसरुद्दीन की कहानी रिश्ता  (क्लिक करें और पढ़ें)

काम की बातें, जिनपर हमें अवश्य ध्यान देना चाहिए!

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  काम की बातें, जिनपर हमें अवश्य ध्यान देना चाहिए! यह ठीक है कि रोज एक ही काम अथवा एक ही तरह से काम करते - करते मन और तन दोनों थक जाता है। नहीं तो कम से कम एक थकावट और रूकावट तो महसूस होने जरूर लगता है। यदि रोज दोहराई जाने वाली आदतों अथवा काम करने के तरीके में थोड़ा परिवर्तन कर दिया जाए , तो अवश्य बेहतर महसूस किया जा सकता है। यहां हम जानकारों और विद्वानों द्वारा बताए गए कुछ उपायों को प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने आप को बेहतर बना सकते हैं। आइए कुछ जानी पहचानी आदतों को अपनी रोजमर्रा के जीवन में अपनाएं।  * प्रतिदिन कुछ पढ़ें  एक बहस आम बात है कि लोगों में पुस्तकें पढ़ने की आदतें पहले जैसी ही है अथवा घटी है। यदि प्रतिदिन कुछ पढ़ने की आदत है तब तो अच्छी बात है। नहीं है तो रोज कुछ न कुछ अवश्य पढ़ें। शुरू में कुछ कम पढ़ेंगे लेकिन धीरे-धीरे आदत हो जायेगी और आप पुस्तक पढ़ने के शौकीन बन जाएंगे। पुस्तकें ज्ञान तो देती ही है, अकेलापन भी दूर करती है। पुस्तकें मनुष्य की अच्छी साथी है।  * प्रतिदिन कुछ अवश्य लिखें  मनुष्य को कुछ न कुछ अवश्य लिखना चाहिए। डायरी लेखन...

भारत के राज्य, राजधानी और मुख्यमंत्री के नाम

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  भारत के राज्य, राजधानी और मुख्यमंत्री के नाम  भारत में 28 राज्य और 09 केंद्र शासित प्रदेश है। भारत के राज्यों की सूची में समय-समय पर बदलाव आते रहते है। सबसे ताज़ा जानकारी के लिए स्थानीय समाचारों को देखते रहना चाहिए। यहां भारत के सभी राज्यों की सूची है, जिसमें उनकी राजधानी और वर्तमान मुख्यमंत्री शामिल हैं: | राज्य | राजधानी | मुख्यमंत्री | 1. | आंध्र प्रदेश | अम्रावाठी | वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी | 2.| अरुणाचल प्रदेश | इटानगर | पेमा खांडू | 3.| असम | दिसपुर | हिमंत बिस्वा सरमा | 4.| बिहार | पटना | नीतीश कुमार | 5.| छत्तीसगढ़ | रायपुर | भूपेश बघेल | 6./ गोवा | पणजी | प्रमोद सावंत | 7.| गुजरात | गांधीनगर | भूपेंद्रभाई पटेल | 8.| हरियाणा | चंडीगढ़ | मनोहर लाल खट्टर | 9./हिमाचल प्रदेश | शिमला | जय राम ठाक 10.| झारखंड | रांची | हेमंत सोरेन | 11.| कर्नाटक | बेंगलुरू | श्री बसवराज बोम्मई | 12.| केरल | तिरुवनंतपुरम | पिनाराय विजयन | 13./मध्य प्रदेश | भोपाल |  | मोहन यादव  14.| महाराष्ट्र | मुंबई | एकनाथ शिंदे | 15.| मणिपुर | इम्फाल | एन बिरेन सिंह | 16.| मेघालय | शिलोंग | कॉन...

सावधान, जननायक सावधान! कविता, भावार्थ, sawdhan jannayak poem, Balkrishna Rao

 सावधान! जननायक   कविता , भावार्थ,सार  कवि बालकृष्ण राव Sawdhan jannayak poem/ Balkrishna Rao, जननायक को झूठी प्रशंसा से बचना चाहिए  यह स्तुति का सांप तुम्हें डस न ले। बचो तुम इन बढ़ी हुई बाहों से  धृतराष्ट्र मोहपाश  कहीं तुम्हें कस न ले। सुनते हैं कभी किसी युग में  पाते ही राम का चरण स्पर्श  शिला प्राणवती हुई। देखते हैं किंतु आज  अपने उपास्य के चरणों को छू छू कर भक्त उन्हें पत्थर की मूर्ति बना देते हैं। सावधान, भक्तों की टोली आ रही है  पूजा - द्रव्य लिए! बचो अर्चना से, फूल माला से, बचो वंदना की वंचना से, आत्म - रति से, बचो आत्म पोषण से। सावधान! जननायक कविता का भावार्थ  सावधान जननायक कविता कविवर बालकृष्ण राव द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने जननायक से अपने प्रशंसकों की झूठी प्रशंसा से बचने का आग्रह किया है। सत्ताधारी जननायकों को चाटुकारों की झूठी प्रशंसा से बचना चाहिए। कारण कि झूठी प्रशंसा इनके विवेक को अविवेक में बदल देती है। जननायकों को चाटुकारों के इस मोहपाश से बचना चाहिए। प्रशंसक झूठी प्रशंसा द्वारा जननायकों को पत्थर बना...

गुरु गोविंद सिंह जी के प्रेरणा दायक संदेश जो सबके लिए अनुकरणीय है

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  गुरु गोविंद सिंह के विचार: प्रेरणा का स्रोत , जो सबके लिए अनुकरणीय हैं। आज सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म दिवस मनाया जा रहा है। वे एक कुशल योद्धा, कवि, लेखक, विचारक, एवं सर्व जन हितैषी गुरु थे। यहां उनके अनमोल वचन दिये गये है जो आज भी अनुकरणीय हैं। गुरु गोविंद सिंह जी, दसवें सिख गुरु, ने हमें अनेक अनमोल विचार दिए हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। उनके विचारों में धर्म, न्याय, साहस और मानवीय मूल्यों का संदेश निहित है। आइए कुछ प्रमुख विचारों पर नज़र डालें: धर्म और सहिष्णुता  * सभी धर्मों का सम्मान: गुरु जी ने सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाया। उन्होंने सहिष्णुता और भाईचारे का संदेश दिया।  * कर्म ही धर्म: उन्होंने कर्म को ही सबसे बड़ा धर्म बताया। अच्छे कर्मों से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है।  * न्याय का मार्ग: उन्होंने न्याय और सच्चाई के लिए संघर्ष करना सिखाया। साहस और त्याग  * साहस और बलिदान: गुरु जी ने साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन कभी हार नहीं मानी।  * स्वयं पर विश्वास: उन्होंने ...

अपने विद्यालय के प्राचार्य को आवेदन पत्र लिखें।

 नया मोबाइल नंबर अंकित करने के लिए अपने विद्यालय के प्राचार्य को आवेदन पत्र लिखें। सेवा में, प्राचार्य महोदय, सरस्वती विद्या मंदिर, भूली  विषय - नया मोबाइल नंबर अंकित करने से संबंधित। महाशय, सविनय निवेदन है कि मेरी मां का मोबाइल खो गया है। जो मोबाइल खोया है उसी का नम्बर मेरे प्रोफाइल में अंकित है। खोने के कारण वह नम्बर बंद कर दिया गया है। इससे विद्यालय की कोई सूचना मुझे नहीं मिल पा रही है।  अतः निवेदन है कि मेरे प्रोफाइल में नया मोबाइल नंबर अंकित करने की अनुमति प्रदान किया जाय। आभारी रहूंगा। आज्ञाकारी छात्र/ छात्रा  नाम  मोबाइल नंबर  क्रमांक  कक्षा  दिनांक 

कर्ण की पीड़ा Karn ki pida

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        कर्ण की पीड़ा , कविता, रश्मि रथी, रामधारी सिंह दिनकर         Karn ki pida रश्मि रथी नामक पुस्तक कविवर राम धारी सिंह दिनकर द्वारा रचित प्रसिद्ध पुस्तक है। यहां रश्मि रथी शूरवीर, दानवीर कर्ण को कहा गया है। कर्ण शूरवीर योद्धा थे फिर भी दुर्भाग्य उनका जीवन संगिनी थी। यहां रश्मि रथी पुस्तक का अंश दिया गया, जहां। कर्ण के बारे में बताया गया है कि वह महावीर था।  हाय कर्ण तू क्यों जन्मा था? जन्मा तो क्यों वीर हुआ ? कवच और कुंडल भूषित भी तेरा अधम शरीर हुआ। धंस जाय वह देश अतल में गुण की जहां नहीं पहचान, जाति गोत्र के बल से ही आदर पाते हैं, जहां सुजान।। नहीं पूछता है कोई तुम व्रती, वीर या दानी हो ? सभी पूछते मात्र यही तुम किस कुल के अभिमानी हो ? मगर , मनुज क्या करें? जन्म लेना तो उसके हाथ नहीं। चुनना जाति और कुल, अपने वश की तो बात नहीं।। मैं कहता हूं, अगर विधाता नर को मुट्ठी में भर कर। कहीं छिट दे ब्रह्म लोक से ही नीचे भू-मंडल पर। तो भी विविध जातियों में ही मनुज यहां आ सकता है। नीचे है क्यारियां बनी तो बीज कहां जा सकता है ? अवश्य पढ़ें क्लिक...

विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र के लिए प्राचार्य/प्राचार्या को आवेदन पत्र ( application for school leaving certificate)

सांप कविता   विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र कैसे लिखें। विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र के लिए प्राचार्य/प्राचार्या को आवेदन पत्र ( school leaving certificate) सेवा में, प्राचार्य महोदय/ प्राचार्या महोदया, नामकुम उच्च विद्यालय, रांची। विषय -- विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र के लिए आवेदन-पत्र। महोदय/ महोदया, सविनय निवेदन है कि मेरे पिता जी का स्थानांतरण पटना में हो गया है। मैं उन्हीं के साथ रहकर यहां पढ़ता हूं। उनके पटना जाने के बाद मैं अकेले रहकर यहां पढ़ाई करने में असमर्थ हूं। इसलिए मैं भी पटना में ही किसी अच्छे विद्यालय में नामांकन करवाना चाहता हूं। लेकिन विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र के बिना यह संभव नहीं है। अतः निवेदन है कि मुझे आठवीं कक्षा उत्तीर्ण का विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र प्रदान करने की कृपा करें। इस महत्वपूर्ण कृपा के लिए आपका हार्दिक आभारी रहूंगा।  आज्ञाकारी छात्र  ब्रजेश कुमार विश्वास  कक्षा - अष्टम  नामकुम उच्च विद्यालय  रांची, झारखंड  दिनांक  डाक वितरण की अनियमितता का उल्लेख करते हुए डाकपाल को पत्र लिखिए अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल का...

मेला देखने जाने के लिए मित्र को आमंत्रण पत्र लिखें। पत्र लेखन

घूमना सभी को अच्छा लगता है। बच्चों में घूमने फिरने की लालसा अधिक होती है। और मेले घूमने का अवसर मिला तो खुशी बढ़ जाती है। मित्र का साथ मिल जाए तो बात बन जाती है। आइए, मेला घूमने जाने के लिए मित्र को पत्र लिखना सीखें।  मेला देखने जाने के लिए मित्र को आमंत्रण पत्र लिखें। पत्र लेखन  प्रिय मित्र सोनू,                                           धनबाद, 25/10/2024  सप्रेम नमस्ते ! मैं यहां सकुशल हूं और आशा है कि तुम  भी बालासोर में कुशल पूर्वक रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे होंगे। यहां सब समाचार ठीक है। मेरी अर्धवार्षिक परीक्षा सम्पन्न हो गई है। कुछ ही दिनों में परिणाम भी सामने आ जाएगा। 31 अक्टूबर को दीपावली है। इसके दो दिन पहले से ही यहां मेला लगता है। मेला छठ पूजा तक रहेगा। मेले में तरह तरह के झूले और दुकानें लगती हैं। तुम रहोगे तो घूमने में बहुत मज़ा आएगा। पत्र पाते ही तुम शीघ्र आ जाओ। साथ में खूब मज़े करेंगे। आशा है तुम्हारे विद्यालय में भी छुट्टियां हो गई होगी। मिलने पर...

Sanp poem , सांप कविता, कवि अज्ञेय

  अज्ञेय जी की प्रसिद्ध कविता सांप  सांप! तुम सभ्य तो हुए नहीं, नगर में बसना  भी तुम्हें नहीं आया । एक बात पूछूं ( उत्तर दोगे) तब कैसे सीखा डसना -- विष कहां पाया ? कवि -- अज्ञेय  Posted by Dr Umesh Kumar Singh, Bhuli Nagar Dhanbad Jharkhand, India ************************************"********** मीराबाई के पद" कविता प्रतिरक्षा शक्ति निबंध बसंत   ऋतु निबंध घर की याद कविता भवानी प्रसाद मिश्रा    क्लिक करें और पढ़ें। Science  : Pros & Cons- Essay कृष्णा सोबती द्वारा मिया नसरुद्दीन की कहानी रिश्ता  (क्लिक करें और पढ़ें)

संधि,संधि की परिभाषा, संधि के उदाहरण,संधि के भेद, स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि, sandhi, sandhi ke bhed, sandhi ke udaharan

मेला देखने जाने के लिए मित्र को पत्र   संधि,संधि की परिभाषा, संधि  के उदाहरण,संधि के भेद, स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि, sandhi, sandhi ke bhed, sandhi ke udaharan  संधि की परिभाषा  दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे संधि कहते हैं। संधि में वर्णों के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे - विद्या +आलय - विद्यालय। पुस्तक + आलय - पुस्तकालय। एक + एक - एकैक। रवि + इन्द्र - रवीन्द्र। संधि के भेद या प्रकार  1. स्वर संधि  2.व्यंजन संधि  3. विसर्ग संधि  1.स्वर संधि -- एक दूसरे के बाद आने वाले दो स्वरोंके मिलने से उनके स्वरूप में जो परवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं।  अथवा  जहां दो स्वरों का परस्पर मेल होने से किसी एक स्वर अथवा दोनों स्वरों में जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं। स्वर संधि के उदाहरण -- भानु +उदय -- भानूदय,  रमा + ईश -- रमेश। स्वर संधि के पांच भेद हैं -- 1. दीर्घ संधि, 2. गुण संधि 3. यण संधि , 4. वृद्धि संधि और 5. अयादि संधि। 2. व्यंजन संधि -- व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन आने पर जो परिवर्तन होता...

हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

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हिंदी के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर  1. प्रश्न - भाषा किसे कहते हैं ?  उत्तर - वह माध्यम जिससे हम अपने मन के भावों को बोलकर अथवा लिखकर व्यक्त करते हैं, उसे भाषा कहते हैं । हिंदी, अंग्रेजी, रूसी आदि विश्व की कुछ प्रमुख भाषाएं हैं। 2. प्रश्न -- लिपि किसे कहते हैं ? उत्तर -- मौखिक ध्वनियों को लिखित रूप प्रदान करने वाले चिन्हों को लिपि कहते हैं। 3. प्रश्न -- हिन्दी भाषा की लिपि का नाम क्या है ? उत्तर - हिन्दी की लिपि का नाम देवनागरी लिपि है ।  4. प्रश्न -- वर्ण किसे कहते हैं ? उत्तर - वह मूल ध्वनि जिसके खंड या टूकड़े न हो, उसे वर्ण कहते हैं । 5. प्रश्न - हिंदी के वर्णों की संख्या बताओ । उत्तर -  हिंदी में वर्णों की संख्या 52 है । 6. प्रश्न -- वर्ण के भेद या प्रकार बताए। उत्तर हिंदी में वर्णों की संख्या दो है। स्वर वर्ण और व्यंजन वर्ण। प्रश्न 7. स्वर वर्ण की संख्या बताओ। उत्तर -- स्वर वर्ण की संख्या 11 है। 8.  कवर्ग का उच्चारण स्थान बताएं। उत्तर - कवर्ग का उच्चारण स्थान कंठ है। 9. चवर्ग का उच्चारण स्थान क्या है ? उत्तर--  चवर्ग का उच्चारण स्थान तालु है। 10. ...