शेष गणेश महेश दिनेश, रसखान के सवैया
शेष गणेश महेश दिनेश शेष गणेश, महेश दिनेश, सुरेसहु जाहि निरंतर गावैं।। जाहि अनादि अनंत अखंड अछेद अभेद सूबेद बतवैं। नारद से सुक व्यास रहैं पचि हारे तऊ पुनि पार ना पावैं । ताहि अहीर की छोहरियां छछिया भरि छाछ पर नाच नचावे। भावार्थ रसखान कवि कहते हैं, जिसके गुणों का वर्णन शेषनाग, शिवशंकर जी गणेश जी, सूर्य भगवान नहीं कर सके। जिन्हें वेद पुराण अनादि, अनंत, अखंड अछेद और अभेद कहते हैं। नारद और शुकदेव जी जैसे गुणी व्यास जिनका वर्णन नहीं कर सकते। वह श्री हरि विष्णु श्रीकृष्ण को गोकुल में ग्वाले के लड़कियां थोड़ी सी छाछ और मक्खन की लालच देकर नाच नचाती हैं। Posted by Dr Umesh Kumar Singh, Bhuli Nagar Dhanbad Jharkhand, India ************************************"********** मीराबाई के पद" कविता प्रतिरक्षा शक्ति निबंध बसंत ऋतु निबंध घर की याद कविता भवानी प्रसाद मिश्रा क्लिक करें और पढ़ें। Science : Pros & Cons- Essay कृष्णा सोबती द्वारा मिया नसरुद्दीन की कहानी रिश्ता (क्लिक करें और पढ़ें)